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प्रश्न २४०-अन्तराय कर्म में कितनी दशा होती हैं ? उत्तर-तीन होती हैं-उदय, क्षय, क्षयोपशम ।। प्रश्न २४१-मोहनीय कर्म मे कितनी दशा होती हैं ? उत्तर-चार होती हैं-उदय, क्षय, क्षयोपशम, उपशम । प्रश्न २४२-अघाति कर्मों में कितनी दशा होती हैं ? उत्तर-दो होती हैं-उदय और क्षय ।। प्रश्न २४३-इस प्रकार उदय आदि कितने भेद हुए?
उत्तर-(१) ज्ञानावरणीय के तीन भेद, (२) दर्शनावरणीय के तीन भेद, (३) अन्तराय कर्म के तीन भेद, (४) मोहनीय कर्म के चार भेद; (५) आयु के दो भेद, (६) नाम के दो भेद, (७) गोत्र के दो भेद, (८) वेदनीय के दो भेद, इस प्रकार कुल २१ भेद हुए।
प्रश्न २४४--आठ कर्मों में उदय आदि के २१ भेदों से क्या लाभ
रहा?
उत्तर---यह २१ भेद हैं, यह कार्य है और प्रत्येक कार्य मे छह कारक एक साथ वर्तते हैं। इस प्रकार २१४६=१२६ भेद हुए।
प्रश्न २४५-ज्ञानावरणीय कर्म के उदय-पर छह कारक कैसे लगते हैं?
उत्तर–ज्ञानावरणीय कर्म का उदय यह कार्य है। कार्य पर से छह प्रश्न उठते है । (१) ज्ञानावरणीय कर्म का उदय किसने किया? कार्माणवर्गणा ने किया । अत काणिवर्गणा कर्ता हुई, (२) कार्माणवर्गणा ने क्या किया ? ज्ञानावरणीय कर्म का उदय । अत ज्ञानावरणीय कर्म का उदय कर्म हुआ, (३) ज्ञानावरणीय कर्म का उदय किस साधन के द्वारा हुआ ? काणिवर्गणा के साधन द्वारा । अत कार्माणवर्गणा करण हुई, (४) ज्ञानावरणीय कर्म का उदय किस के लिए किया ? कार्माणवर्गणा के लिए किया। अत कार्माणवर्गणा सम्प्रदान हुई । (५) ज्ञानावरणीय कर्म का उदय किस मे से किया ? पहली पर्याय का अभाव करले काणिवर्गणा मे से किया। अत.