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उत्तर - कर्ता, अपादान, कर्म, तीन कारको की भूल साबित होती
है ।
प्रश्न २६० - छह कारकों की स्वतन्त्रता से क्या सिद्ध होता है ? उत्तर - जीव अनन्त, पुद्गल अनन्तानन्त, धर्म-अधर्म-आकाश एकएक और लोक प्रमाण असख्यात काल द्रव्य हैं । प्रत्येक द्रव्य में अनन्तअनन्त गुण है । प्रत्येक गुण मे एक ही समय मे एक पर्याय का व्यय, दूसरी का उत्पाद और गुण ध्रौव्य रहता है । ऐसा प्रत्येक द्रव्य के गुण मे हो चुका है, हो रहा है और भविष्य मे होता रहेगा ।
प्रश्न २६१- प्रश्न २६० के अनुसार जानने वाले को क्या-क्या लाभ होता है ?
उत्तर- (१) केवली के समान ज्ञाता-दृष्टा बुद्धि प्रगट हो जाती है । ( २ ) प्रत्येक वस्तु कैसी है और क्या करती है ऐसा सच्चा ज्ञान हो जाता है । (३) अनादि निधन मन्त्र का रहस्य अपना अनुभव हुए बिना समझ मे नही आ सकता है । ज्ञानी इस मन्त्र का रहस्य जानते हैं और सदैव सुखी रहते हैं । ( ४ ) अज्ञानी अनादि से व्यवहार षटकारक के अवलम्बन मे पागल था । वह मिटकर शुद्धात्म अनुभूति प्रगट हो जाती है । (५) ज्ञानी जानता है मेरी आत्मा अनादिअनन्त किसी मे गयी नही, मिली नही है, उसी प्रकार प्रत्येक द्रव्य किसी मे गया नही, कभी जावेगा नही । ( ६ ) यह मन्त्र सारे आगम का सार है यह वीतराग विज्ञानता का भेदज्ञान है ।
वस्तु विचारत ध्यायतं, मन पावै विश्राम । रस स्वावत सुख उपजै, अनुभव याको नाम ॥
जय महावीर - जय महावीर