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तीनों कारणो का सच्चा ज्ञान कराने के लिए शास्त्रो मे इतना लम्बालम्बा करके समझाया है ।
प्रश्न ३१ - घड़ा उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण से बना है। इसको मानने से क्या लाभ हुआ ?
उत्तर - जैसे -- घडा उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से बना है । वैसे ही विश्व मे जितने भी कार्य हैं वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके हैं, हो रहे हैं और भविष्य में होते रहेंगे । ऐसा केवली के समान सच्चाज्ञान हो जाता है ।
प्रश्न ३२ - विश्व मे जितने भी कार्य हैं। वे सब उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से हो चुके हैं, हो रहे हैं और भविष्य मे होते रहेंगे। ऐसा केवली के समान सच्चाज्ञान होते हो क्या-क्या अपूर्व कार्य देखने में आता है ?
उत्तर- ( १ ) अनादिकाल की पर मे करूँ-घरू की खोटी मान्यता का अभाव होना । (२) दृष्टि अपने ज्ञायक स्वभाव पर आना । (३) सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति होकर क्रम से वृद्धि होकर मोक्ष लक्ष्मी का नाथ होना । (४) मिथ्यात्वादि ससार के पाच कारणों का अभाव होना । (५) द्रव्य क्षेत्र काल - भव- भावरूप पच परावर्तन का अभाव होकर पंच परमेष्टियो मे गिनती होना ।
प्रश्न ३३ – विश्व में प्रत्येक कार्य उस समय पर्याय की योग्यता छणिक उपादानकारण से ही होता है। तब कौन-कौन सी चार बातें एक साथ एक ही समय में नियम से होती हैं ।
उत्तर- (१) उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण ( उत्पाद) (२) अनन्तरपूर्व क्षणवर्तीपर्याय क्षणिक उपादान कारण (व्यय) (३) त्रिकाली उपादानकारण ( ध्रौव्य ) (४) निमित्तकारण | ये चार बाते प्रत्येक कार्य मे एक ही साथ एक ही काल मे नियम से होती है । ( प्रवचनसार गाथा ९५ )