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प्रश्न ३४ -- उस समय पर्याय की योग्यता छणिक उपादान कारण से हीं कार्य की उत्पत्ति होती है। क्या यह निरपेक्ष है।
उत्तर - हाँ कार्य स्वय पर की अपेक्षा नही रखता है इसलिए निरपेक्ष है, और अपनी अपेक्षा रखता है इसलिए सापेक्ष है । पात्र भव्य जीवो को प्रथम निरपेक्ष सिद्धि करनी चाहिए। फिर जो कार्य हुआ, उसका अभावरूप कारण कौन है, त्रिकालीकारक कौन है और निमित्तकारण कोन है। इन बातो का ज्ञान करना चाहिए, क्योकि कार्य के समय चारो बाते नियम से होती है ।
प्रश्न ३५ - घड़ा ( कार्य ) उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादानकारण से हुआ है । ऐसा मानने से किस-किस कारण पर वृष्टि नहीं जाती है ?
उत्तर -- (१) कुम्हार, चाक, कीली, डडा, हाथ । (२) मिटटी (३) अनन्तर पूर्ण क्षणवर्ती पर्याय पिण्ड क्षणिक उपादान कारण आदि पर दृष्टि नही जाती है ।
प्रश्न ३६- दया कुम्हार कारण और घड़ा कार्य । कारणानु विधायीति कार्याणि को कब माना जौर कब नहीं माना ।
उत्तर -- आहारवर्गणा के स्कध मिट्टी मे से अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय पिण्ड क्षणिक उपादान कारण का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से घडा बना है । कुम्हार से नही बना है तो कारणानुविधायोनि कार्याणि को माना । और कुम्हार से घडा बना है ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना ।
प्रश्न ३७ - चाक कारण और घड़ा कार्य । कारणानुविधायोनि कार्याणि को कव माना और कब नहीं माना ?
उत्तर -- प्रश्न ३६ के अनुसार उत्तर दो ।
प्रश्न ३८ - कीली कारण और घड़ा कार्य कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना ?