Book Title: Jain Shasan 2001 2002 Book 14 Ank 19 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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स्वनिर्मित नेता १०० करोड के फैर में
हैं ? नाकोड़ा तीर्थ के प्रवेश पर बना अहिंसा द्वार इस का नीता सापकी पत्रिका अक्टूबर २००१ में जैन महासभा के
जागता उदाहरण है । यदि हम सरकार की और हाथ फैलाये महावि , भगवान महावीर २६००वां जन्म कल्याणक
अब तक नहीं रहते तो बीते सात माह में अधिक कार्य करते। महोत्सः महासमिति के सदस्य एवं महावीर मिशन के सम्पादक
फिर बीते सात माह में हमने क्या पाया ? केवल सरकारी श्री रतन जैन की दस्तक' पढ़ङने को मिली । सर्व प्रथम तो मैं
आश्वासन कि १०० करोड़ रुपये दिये जायेंगे ! इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने ऐसी सामग्री
महोत्सव महासमिति बीते सात माह का सच्चे हाय से प्रकाशित कर न केवल साहस का परिचय दिया है अपितु जैन
मूल्यांकन करें तथा आचार्यों के समक्ष जाकर अपनी भूकों के समाज । अग्रणीय नेताओं की पोल खोल दी है । यह
लिये प्रायश्चित करें । मेरी दृष्टि में सरकार की कथनी एवं शत्प्रति त् सत्य है, कि हम अपने आचार्यो के आशीर्वाद
करनी में भारी अन्तर है। सरकार अपनी वोटों की राजनीति से बिना प्रति नहीं कर सकते । वर्तमान महोत्सव महासमिति ने
सभी धर्मानुयाइयों को खुश रखना चाहती है । इस जन्म हमारे स धु-वर्ग को भुला दिया है तथा अपनी ख्याति अर्जित
कल्याणक वर्ष को सरकार ने “अहिंसा वर्ष' घोषित किया। करने में लगे हैं । महावीर जयन्ती से अब तक की कार्य
किंतु इसके विपरीत सरकार इसी वर्ष में मांसाहार हेतु श्रृंखलामों में हमारे आचार्यों की कितनी भूमिका है, यदि इसका
कल-कारखाने खोलने का लाइसेंस जारी कर रही है, उनको मूल्यांकन किया जाए तो सम्भवतः उत्तर शून्य ही होगा। जो समाज अपने धर्मगुरुओं / आचार्यों के मार्ग-दर्शन से नहीं
अनुदान देकर प्रोत्साहित कर रही है, मांस निर्यात का लक्ष्य चलता, वह प्रगति नहीं कर सकता।
बढ़ा रही है, सरकारी प्रीतिभोजों में मांसाहार परोसा जा रहा है, मारे स्वनिर्मित नेता १०० करोड़ के चक्कर में फंस
क्या यही है अहिंसा वर्ष की सार्थकता ? गये हैं। वे नहीं जानते कि इससे कई गुणा राशि प्रति वर्ष जैन
धर्म प्रेमी बन्धुओं ! यदि आप महावीर की सन्तान हैं तो समाज वल जन उपयोगी कार्यों में खर्च करता है। इसमें भूल जाइये इस सरकार के अनुदान को और जाइये जैनाचार्यो धार्मिक कार्यों पर खर्च की जाने वाली राशि जोड़ दी जाए तो के समक्ष और उनके बताये गये मार्ग पर चलिए । अपनी वह अरों-खरबों में होगी। हमारे आचार्यों के मात्र इशारे पर श्रद्धानुसार धार्मिक गतिविधियाँ करें तथा बचे हुए पाँच माह में करोड़ों पये खर्च हो जाते हैं तो जैन समाज को इन १०० आचार्यों के निर्देशानुसार कार्य करके इस सरकार को बता दें करोड़ वा मोह त्याग देना चाहिये। ये दिखावटी नेता स्वत: ही कि हमें १०० करोड़ के बदले कत्ल -कारखाने नहीं खुकवाने शान्त हे जायेगें।
हैं। हम अहिंसा में विश्वास रखते हैं तथा उन्हीं कदमों पर म महावीर की सन्तान हैं । हम सब समृद्धशाली हैं। | जीवन के अन्तिम क्षण तक चलते रहेंगे। धार्मिक क्रया - कलापों से ओत-प्रोत हैं। यदि हमें भगवान प्रो. रतन जैन सहित अन्य महोत्सव महासमिति के सदस्यों महावीर का सच्चा २६०० वां जन्म कल्याणक वर्ष मनाना है | से अनुरोध है कि वे भी इस पर गहन चिन्तन करें तथा भपनी तो हमें सरकारी मदद की और से मुँह मोड़ लेना चाहिये तथा
भूलों / त्रुटियों के लिये आचार्य श्री के समक्ष प्रायश्चित करके हमे अपनी यथाशक्ति हेतु कार्य करना चाहिये । जैनाचार्यो से
मुख्य धारा से जुड़ें। मेरा समस्त जैनाचार्यो से भी अनुरोध है कि मार्ग-निर्देशन प्राप्त कर योजनायें बनानी चाहिये । धार्मिक
वे इस स्थिति पर गहन मनन कर समाज को सही मार्गदर्शन दें। प्रवृतिय बढ़ानी चाहिए । अहिंसा सर्कल या अहिंसा द्वार का
(स्थूलभद्र संदेश) निर्माण से हम स्वयं अपने धार्मिक स्थानों के आस-पास कर
- मिटठुलाल डागा सकते है अतएव इसमें सरकारी सहयोग की क्या आवश्यकता