Book Title: Jain Shasan 2001 2002 Book 14 Ank 19 to 48
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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जीवदया प्रेमी सुश्रावक वकील श्री ललित जैन की कसाईयों द्वारा निघृण हत्या
भिवंडी (जि. ठाणे) - जीवदया, अहिंसा, करुणा, जिनकी रोम-रोम में बसी थी, ऐसे बारहव्रत धारी सुश्रावक वकील श्री ललित जैन (उम्र ३१ वर्ष) की महावीर कल्याणक के एक दिन पूर्व ४ अप्रैल को दोपहर ११.३० बजे भरे बाजार में साईयों गोली मारकर निर्मम नृशंस, क्रुर हत्या कर दी। जालोर जिले के गुडाबालोतान निवासी श्री जैन वकालात कर थे। पिछले ८ वर्षों में २०० से ज्यादा केस लड़कर गैरकानूनी कत्ल के ये ले जाये जा रहे ५००० से अधिक पशुओं को बचाया । आचार्य श्री हेमरत्नसूरिजी म. सा. के सम्पर्क में आने के पश्चात् जीवदया, अहिंसा, करुणा, धर्म के प्रति वे पूर्ण रुप से समर्पित हो गये थे । श्रावक के बारह व्रतों को अंगीकार कर दोनों समय प्रतिक्रमण, जिन पूजा, ,भत्ति, बीयासणे, पर्युषण आराधना करवाने जाना आदि संस्कार उनके जीवन में धुल-मिल गये थे । वे बजरंग दल - भिवंडी शाखा के प्रमुख थे । यंग एलर्ट धुप, , वर्धमान संस्कृति धाम, विनियोग परिवार अदि संस्थाओ से जुड़े हुए थे । स्थानीय जैन संघ के साथ प्रत्येक कार्य में अग्रणी रहते थे । सामाजिक सेवाओं को देखकर महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वा विशेष कार्यकारी अधिकारी के (S.E.O.) के रुप में उनको नियुक्ति की गयी थी ।
र्ला त जैन को कई बार मारने की धमकियाँ भी मिली थीं, पर वे जीवदया के प्रति संवेदनशील रहते हुए. अपने मिशन को आगे बढाते रहे और अदालतों में विजय श्री प्राप्त करते रहे । वे कहा करते थे कि जो कानून बने हैं, उन पर राजनेता या पुलिस अम् ल क्यों नहीं करते ? ऊनका झगड़ा न सिर्फ कसाईयों या कत्लखाने ले जाने वाले गोवंश के समाज विरोधी तत्वों से था, बल्कि उनका विरोध कानून न पालने वाले राजनेताओं और पुलिस से भी था । अतः यह हिंसा कानून का पालन करने वाले एक राष्ट्रप्रेमी नागरिक की हत्या है, अहिंसा की हत्या है।
यह विडम्बना है कि राजनेताओं, पुलिसों व कसाईयों के गठबंधन के कारण कानून को धोलकर पिया जा रहा है और गैर कानूना कत्ल का धंधा पनप रहा है। जीवदया प्रेमी
कार्यकर्ताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं । २७ अगस्त सन् १९९३ में अहमदाबाद में गीताबेन बी. रांभीया (उम्र ३३ वर्ष) की दिन दहाड़े कसाईयों ने छूरे से १९ वार कर निमर्म हत्या की थी, जिन्होंने ७०,००० पशुओं को छुड़ाया था। ७-१०-१७ को डीसा में श्री भरत भाई कोठारी पर प्राणघातक हमला हुआ था। डीसा में ही २०-४-२००० को श्री प्रकाश भाई शाह पर हमला हुआ और वे जीवदया के लिए शहीद हो गये। बाड़मेर फलौदी आदि में भी जीवदया प्रेमियों पर प्राणघातक हमले हुए हैं। हमलावरों को सजा न मिलने के कारण उनके हौंसले बढ़ रहे हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से अहिंसा में आस्था रखने वालों को गहरा आघात लगा है।
यदि जनता और सरकार दोनों ने इस भयावह घटना से कोई सबक नहीं लिया तो वह दिन दूर नहीं जब कि देश में हिंसक, बर्बर, ताकतों का बोलबाला होगा। करुण, संवेदना, भाईचारा, इन्सानियत ये शब्द मात्र शब्दकोश में रह जायेंगे । अनैतिकता, अराजकता का काला साया इस पृथ्वी पर नजर आयेगा ।
श्री ललित जैन के आदर्श जीवन की एक
झलक
१२ व्रतधारी श्रावक दोनों समय प्रतिक्रमण प्रतिदिन सामायिक तीन बार पर्युषण पर्व की आराधना करवाने गये। आगरा (सं. २०५५), मालेगांव (सं. २०५६), चालीसगांव (२०५७) पू. आचार्य श्री हेमरत्नसूरिजी म. सा. की निश्रा में जून - ९४ में आयोजित त्रि-दिवसीय शिबिर से जीवन में धर्म के प्रति विशेष लगाव प्रतिदिन अष्टप्रकारी पूजा साथ में अपने नन्हें दोनों पुत्रों को लेकर जाते थे चौमासे
बियासणा व अष्टमी - चतुर्दशी को आयंबिल प्रायः ब्रह्मचर्य का पालन पिछले आठ माह से प्रति रविवार को युवकों के साथ रात्रि भावना में अपने मधुर कंढ से प्रभु-भक्ति रोज सिद्धचक्रजी का जाप पंचसूत्र का पठन भिवंडी के निकट आणगांव में गौशाला प्रारंभ करने में महत्वपूर्ण योगदान • पशुओं को बचाने के केस निःशुल्क लड़ते थे • २०८ से अधिक केसों में जीतकर ५००० से ज्यादा पशु बचाये ।
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