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: जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन
प्रभावकचरित, प्रबन्धचिन्तामणि एवं विविधतीर्थंकल्प जैसे महत्त्वपूर्णं ग्रन्थ प्रकाशित हुए । उपर्युक्त महत्त्वपूर्ण जैन ग्रन्थों के व्याख्या - अनुवाद सहित प्रकाशन के फलस्वरूप जैन धर्म और संस्कृति तथा कला के महत्त्व और विस्तार की जानकारी बढ़ी और विद्वानों को इन विषयों पर आगे शोध के लिये आकृष्ट करने लगी । इसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में किसी एक तीर्थंकर या महापुरुष ( शलाकापुरुष ) से सम्बन्धित पुराण या तिरसठ शलाकापुरुषों से सम्बन्धित महापुराणों एवं चरितग्रन्थों का प्रकाशन हुआ। साथ ही जैन कला और प्रतिमालक्षण की दृष्टि से कई महत्त्वपूर्ण श्वेताम्बर और दिगम्बर शिल्पशास्त्रों या प्रतिष्ठाग्रन्थों का भी प्रकाशन हुआ जिनसे जैन स्थापत्य एवं मूर्तिकला के अध्ययन का विस्तार हुआ । इन ग्रन्थों में विभिन्न प्रसंगों में या सीधे तीर्थंकर मूर्तियों की विशेषताओं, अष्टप्रातिहार्यो, २४ तीर्थंकरों के लांछनों एवं शासन देवताओं ( यक्ष-यक्षी ) तथा महाविद्याओं ( विद्यादेवी ) और नवग्रहों, अष्टदिक्पालों, गणेश, ब्रह्मशान्ति यक्ष, लक्ष्मी, सरस्वती, राम, कृष्ण, इन्द्र, ब्रह्मशान्ति एवं कर्पाद यक्ष एवं अन्य कई सहायक जैन देवी-देवताओं के नामोल्लेख तथा लक्षणपरक उल्लेख मिलते हैं । ऐसे ग्रन्थों में बप्प - भट्टिसूरि की चतुर्विंशतिका ( ८वीं शती ई०), शोभनमुनि की स्तुति - चतुर्विंशतिका ( ल० ९७३ ई० ), विवेच्य ग्रन्थ आदिपुराण और उत्तरपुराण ( ९वीं - १०वीं शती ई० ), हेमचन्द्र कृत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ( १२वीं शती ई० का उत्तरार्द्ध), पादलिप्तसूरिकृत निर्वाणकलिका ( ल० १०वीं - ११वीं शती ई०), वसुनन्दीकृत प्रतिष्ठासारसंग्रह ( १२वीं शती ई० ), आशाधर कृत प्रतिष्ठासारोद्धार (१२२८ ई० ), वर्धमानसूरि कृत आचारदिनकर ( १४१२ ई० ) एवं नेमिचन्द्र कृत प्रतिष्ठातिलकम ( १५४३ ई० ) मुख्य हैं । जैन प्रतिष्ठा ग्रन्थों के अतिरिक्त अपराजित पृच्छा ( १३वीं शती ई० ), रूपमण्डन एवं देवतामूर्तिप्रकरण ( १५वीं - १६वीं शती ई० ) जैसे जैनेतर ग्रन्थों में भी जैन प्रतिमालक्षण से सम्बन्धित विस्तृत उल्लेख मिलते हैं ।
विभिन्न कथापरक पुराण एवं चरित ग्रन्थों, शिल्पशास्त्रों और विभिन्न पुरास्थलों के आधार पर २०वीं शती ई० के प्रारम्भ से ही विभिन्न विद्वानों द्वारा अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये गये हैं जिनमें विन्सेट स्मिथ (दि जैन स्तूप ऐण्ड अदर ऐन्टिक्वीटीज़ ऐट मथुरा ), जी० ब्यूहलर, डी० ० आर० भण्डारकर (दि टेम्पुल्स ऑफ ओसियाँ एवं जैन
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