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पूर्वपीठिका : ५ समकालीन ( ९वीं-१०वीं शती ) और दिगम्बर परम्परा से सम्बद्ध हैं। अतः महापुराण की कलापरक सामग्री के एलोरा की जैन गुफाओं की मूर्तियों से तुलना का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। एलोरा की मूर्तियों में बाहुबली की कठिन साधना के प्रसंग में उनके शरीर से माधवी का लिपटना एवं सर्प, वृश्चिक, छिपकली तथा मृग जैसे जीव-जन्तुओं का शरीर पर या समीप विचरण करते हुए और पार्श्वनाथ की मूर्तियों में शम्बर ( कमठ या मेघमाली ) के विस्तृत उपसर्गों के उकेरन स्पष्टतः महापुराण के उल्लेखों से निर्दिष्ट हैं। __ ब्राह्मण एवं बौद्ध धर्मों तथा कला की तुलना में जैनधर्म और कला पर कुछ वर्षों पूर्व तक निःसन्देह बहुत कम कार्य हुआ था, जबकि जैन साहित्य और कला ब्राह्मण एवं बौद्ध साहित्य और कला के समान ही समृद्ध है। जैन धर्म और साहित्य पर प्रारम्भिक किन्तु महत्त्वपूर्ण कार्य जी० ब्यूहलर ( ऑन दि इण्डियन सेक्ट ऑफ दि जैनज़, १९०३ ), एस० स्टीवेन्सन (दि हार्ट ऑफ दि जैनिज़म, १९१५ ), ए० डी० पुसालकर (दि एज़ ऑफ इम्पीरियल यूनिटी, १९५१, दि क्लासिकल एज, १९५४, दि एज़ ऑफ इम्पीरियल कन्नौज, १९५५ एवं दि स्ट्रगल फार अम्पायर, १९५७), नाथूराम प्रेमी ( जैन साहित्य और इतिहास, १९५६ ), एम० विन्टरनिटज़ ( ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन लिटरेचर, खण्ड-२), हीरालाल जैन ( भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, १९६२), कैलाशचन्द्र शास्त्री ( जैन साहित्य का इतिहास, १९६३ ), ज्योतिप्रसाद जैन (दि जैन सोर्सेज ऑफ दि हिस्ट्री ऑफ ऐन्शियन्ट इण्डिया, १९६४ ) और बेचरदास दोशी ( जैन साहित्य का बृहत् इतिहास, १९६६) के हैं। इन प्रारम्भिक ग्रन्थों में विद्वानों ने विभिन्न श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों की विषय सामग्री और उनके आधार पर जैन धर्म और संस्कृति के विविध पक्षों की व्याख्या का प्रयास किया है। इन्हीं प्रारम्भिक वर्षों में भारतीय ज्ञानपीठ तथा अहमदाबाद, शान्तिनिकेतन, शोलापुर, बम्बई, बड़ौदा के विभिन्न जैन तथा भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित समितियों एवं संगठनों ने अनेक महत्त्वपूर्ण जैन ग्रन्थों के अनुवाद सहित प्रकाशन का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। भारतीय ज्ञानपीठ ने पद्मपुराण, हरिवंशपुराण, आदिपुराण, उत्तरपुराण तथा बड़ौदा के गायकवाड़ ओरियन्टल संस्थान ने छः खण्डों में त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र का हेलेन एम० जॉनसन द्वारा किया गया अनुवाद प्रकाशित किया। शान्तिनिकेतन से सिंघी जैन ग्रन्थमाला के अन्तर्गत जिनविजयमुनि द्वारा सम्पादित
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