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अपमान को सहा और इन विद्वानों की भूलों को सुधारने का कमी प्रयत्न ही न किया।
लेथब्रिज, एलफिस्टन, वेबर, वार्थ आदि विद्वानों ने जैन धर्म की उत्पत्ति बौद्ध धर्म से मानी है। इससे यही व्यक्त होता है कि उनको जैन, हिन्दू और बौद्ध शास्त्रों का ज्ञान बिलकुल न था। इसी प्रकार जो विद्वान् जैन धर्म को विशेष प्राचीन हिन्दू धर्म की शाखा मानते हैं वे भी हिन्दू और जैन शामों सम्बन्धी अपनी अज्ञानता बतलाते हैं ।
इस भ्रम के कारण. ___ आर्य भापाओं का ज्ञान रखने वाले कुछ विद्वानों ने जैन धर्म को बौद्ध धर्म की शाखा केवल इसलिए मान लिया कि इन दोनों धर्मों के कुछ सिद्धान्त आपस में मिलते हैं परन्तु अब बौद्ध शास्त्रों में ही ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनने इन विद्वानों के बेबुनियाद मत को असत्य सिद्ध कर दिया है। इसी प्रकार सिद्धान्तों की एकता ही के कारण कुछ विद्वानों ने जैन धर्म को हिन्दू धर्म की शाखा मानी है ।
इन सब विद्वानों ने इस विपय मे निःसंदेह बड़ी भारी भूल की है । उन्होने न तो अपने भ्रमपूर्ण विचारों के समर्थन के लिए कभी कोई संतोपजनक प्रमाण दिये और न यह बतलाया कि हिन्दू धर्म अथवा बौद्ध धर्म से जैन धर्म की