Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 38
________________ (२८) सिद्ध होगया है कि यह मान्यता गलत है । इसी प्रकार अब शीघ्र ही वह समय आवेगा जब इस महत्वपूर्ण समस्या पर अधिक प्रकाश पड़ेगा। उस समय बड़े बड़े कट्टर विद्वानो को भी यह मानना होगा कि जैन धर्म सब धर्मों से प्राचीन धर्म है और शेष सभी धर्म उससे पीछे के हैं और इन धर्मों ने अपनी दार्शनिक और धार्मिक व्यवस्था के स्थिर करने मे जैन धर्म से बहुत सहायता ली है । इस जगह इतना स्थान नहीं है कि हम इस विषय पर अधिक विस्तार के साथ लिखें, परन्तु हमने अपने मत के समर्थन में अबतक जितने प्रमाण दिये हैं वे सक्षिप्त होने पर भी ऐसे ठोस और अकाट्य हैं कि उनसे यह निस्मन्देह मिद्ध हो जाता है कि जैन धर्म के संस्थापक न तो पार्श्वनाथ थे न महावीर, किन्तु इस धर्म के आदि प्रवर्तक ऋषभदेव थे जिनका, अस्तित्व हिन्दुओ ने सृष्टि के आरंभ मे स्वीकार किया है । जैनों के तीन मुख्य सम्प्रदाय । जैन धर्म की प्राचीनता सिद्ध करने में अब हम श्वेताम्बर और दिगम्बरों का वर्णन करेंगे और यह भी बतलायेगें कि ये दोनों लम्प्रदाय एक दूसरे से किस प्रकार पृथक हुए और फिर श्वेताम्बरो के मूर्ति पूजक और साधुमार्गी विभाग कैसे बने । अंत मे हम यह भी दिखलायेगे कि इन तीनो सम्प्रदाय मे से ___ कौनसा सम्प्रदाय महावीर के असली उपदेशों का अनुयायी है।

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