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(४७) नग्न रहने का ही आदेश किया था, युक्ति संगत नहीं है। इसके प्रतिकूल अनेक हेतुओं द्वारा हम इसी नतीजे पर पहुंचते हैं कि पार्श्वनाथ अथवा महावीर स्वामी के समय दिगंबर संप्रदाय अस्तित्वमें न था । प्राचीनताके विषय में दिगंवरों के दावे
की सत्यासत्यता । अब हमको जैन और बौद्ध सूत्रों की भी छानबीन करनी चाहिए और यह मालूम करना चाहिए कि उनमें कोई उल्लेख एसा भी है जिससे दिगंबरों के प्राचीन होने के दावे का समर्थन हो सके।
(१) बौद्ध सूत्रों में जैनों का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है, परंतु उनमें जैनों को श्रमण अथवा निग्गंध कहा गया है। किसी स्थान पर भी उनको दिगंबरों के नाम से नहीं पुकारा गया ।
(२) जैन और बौद्ध सूत्रों में ऐसे अनेक धर्मों का उल्लेख मिलता है, जिनका प्रचार महावीर और बौद्ध के समय था। उदाहरणार्थ जैनों के भगवती सूत्र में और बौद्धों के मग्घिमनिकाय सूत्र में गोशाला और उनके धार्मिक सिद्धान्तों का सपूर्ण विवरण मिलता है। यदि उस समय दिगंबरों जैसी कोई संप्रदाय का अस्तित्व होता तो महावीर और बुद्ध