Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 71
________________ (५९) दिया कि मूर्ति-पूजा करने से तथा मंदिर बनवाने से निवार्ण की प्राप्ति हो सकती है। ६ स्वयं जैन सूत्रों में ही कई विशाल नगरों के वर्णन लिखे हैं, जिनमें यक्षो की मूर्तियो और मंदिरों का कई बार उल्लेख आया है परन्तु जैन मंदिरो अथवा तीर्थंकरों की मूर्तियों का जिक्र कहीं नहीं हुआ यह बात बडे महत्व की है और मूर्तिपूजा के अस्तित्व को झूठा सावित करने के लिये एक अकाट्य प्रमाण है । यदि उस समय मूर्तिपूजा का प्रचार होता तो यह असंभव था कि शास्त्रो में उसका उल्लेख बिलकुल न किया जाता। (७) महावीर ने साधु-व्रत ग्रहण करने के बाद कई नगरो में विहार किया था। जैन सूत्रों में जहां पर उनके विहार का वर्णन है वहां पर यक्षों के कई मंदिरों का उल्लेख किया है, परन्तु जैन मंदिरो अथवा मूर्तियो का उल्लेख कहीं नहीं है । सूत्रो में यह भी लिखा है कि महावीर ऐसे उपवनों में ठहरे जिनका नाम उनमें पधराई हुई यक्ष-मूर्तियों के नाम पर रक्खा गया था, परन्तु समस्त शास्त्र-संग्रह में यह कहीं नहीं लिखा कि विहार करते करते महावीर ऐसे मंदिरों में ठहरे जिनमें तीर्थंकरों की मूर्तियां थीं अथवा उन्होंने ऐसे उपवनों में विश्राम किया जिनका नाम उनमें स्थापित की हुई जैन मूर्तियों के नाम पर रखा गया हो।

Loading...

Page Navigation
1 ... 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115