Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 74
________________ हुए जैन सिद्धान्तो मे और जैन साधुओ और श्रावको के आचारो के हवालो से भरे पड़े हैं। परन्तु बौद्ध शास्त्रों में यह कहीं नहीं लिखा कि जैनधर्म के सिद्धान्तों मे मूर्ति-पूजा का भी विधान है। यदि महावीर ने मूर्ति-पूजा का उपदेश किया होता तो बौद्ध जैनों पर तीव्र कटाक्ष करने से और उनका उपहास करने से कभी न चूकते, क्यों कि मूर्ति-पूजा का प्रचार, जो बौद्धो के केवल एक सम्प्रदाय मे अभी पाया जाता है, गौतम बुद्ध के निर्वाण के बहुत समय बाद हुआ है। (१२) बौद्ध सूत्रो में उन जैन सिद्धान्तों पर जो बौद्ध सिद्धान्तो से भिन्न है, तीव्र कटाक्ष किया गया है और उनको गलत समझाया गया है । इसलिए यदि जैनधर्म मे मूर्ति-पूजा का विधान होता तो हम को वौद्ध सूत्रों में अवश्य ही इस सिद्धान्त की कड़ी समालोचना मिलती। चूंकि बौद्ध ग्रंथो में मूर्ति-पूजा पर कोई कटाक्ष अथवा नाम मात्र के लिए भी कोई हवाला नहीं मिलता, इसलिए हम केवल एक ही नतीजे पर पहुच सकते हैं और वह यह है कि महावीर के समय में जैनों में मूर्ति-पूजा न थी और महावीर ने न कभी इस विपय का उपदेश दिया । (१३) पुगतत्व की खोज करते समय भारतवर्ष के भिन्न भिन्न प्रदेशों में कई जैन मूर्तिया भूगर्भ से निकाली गई

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