Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 83
________________ मूर्तिपूजक श्वेताम्बर संप्रदाय के साधु के जीवन का मिलान । मूर्ति-पूजक श्वेताम्बर संप्रदाय के साधुओ के तीन विभाग हैं: - (१) यति, (२) श्रीपूज्यजी, और ( ३ ) संवेगी | न तो ये विभाग जैन सूत्रों में बतलाये गये हैं और न संवेगी और श्री पूज्य ये शब्द जैन अथवा बौद्ध सूत्रों में कही आये हैं । अतएव इनको अर्वाचीन ही मानना होगा। वैसे ही जब कि इस संप्रदाय में साधुओ के तीन विभाग है तो इन तीनों विभागों के लिए आचार के भिन्न भिन्न नियमों का होना आपही से सिद्ध होता है ! मूर्ति पूजक अपने साधुओं की सबसे अधिक प्रतिष्ठा करते हैं । इन संवेगियो के आचार की परीक्षा करने से मालूम होगा कि महावीर के बताये हुए नियमों से ये बहुत पतित हो गये हैं । इन्होंने अपने वस्त्रों में बड़ा परिवर्तन कर ढाला है । ये जैन धर्म के नियमों के विरुद्ध पीले वस्त्र धारण 1 करते हैं और इसी प्रकार अन्य पदार्थों का उपयोग करते हैं । इनमे से कुछ रुपये-पैसे का लेन-देन भी करते हैं । यह बात अन्य दो विभागों के विषय में भी ठीक है । यतियों और श्रीवृज्यों के पान घड़ी बटी मिलकियतें हैं और वे सन प्रकार के धंदे करते है । यह पात महावीर के स्पष्ट आदेश के सर्वथा विरुद्ध है, क्योंकि उनका यह उपदेश है कि किसी जैन माधु

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