Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 60
________________ (४८) दोनों ही उसका उल्लेख करने से न चूकते, क्यों कि वे सर्वथा नग्न रहने के विषय मे दिगंबरों से मतभेद रखते थे। चूंकि । इस प्रकार का कोई उल्लेख नहीं मिलता इसलिए यह सिद्ध " होता है कि उस समय दिगंबर इस नामकी संप्रदाय की सर्वथा अभाव था। - (३) दिगंबर यह भी मानते हैं कि स्त्रियां मोश्न प्राप्त नहीं २ कर सकती । जैन और बौद्ध सूत्रों में कहीं भी इस सिद्धान्त - का उल्लेख नहीं मिलता । यह सिद्धांत केवल दिगंबरों को ही मान्य है और लगभग सभी धर्मों के सिद्धान्तों के प्रतिकूल है। यदि प्राचीन भारत में ऐसे सिद्धान्तो को मानने वाला कोई धर्म होता, तो बौद्ध और जैन सूत्रों मे उसका खाम तौर पर उल्लेख मिलता और उसमें उसकी कड़ी समालोचना भी मिलती। (४) स्वयं दिगंबरों के शास्त्रो में अनेक पुष्ट प्रमाण मिलते है जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे और उनके धार्मिक सिद्धांत अर्वाचीन हैं। हम पहले ही बतला चुके हैं कि दिगंबर संप्रदाय का अथवा श्वेताम्बरो के शास्त्रो से भिन्न = दिगंबर शास्त्रों का उल्लेख न तो जैन शास्त्री में मिलता है - और न बौद्ध शास्त्रों में । दिगंबर शास्त्री में श्वेताम्बर और उनके सूत्रों का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है । कई स्थानों पर श्वेताम्बरों पर कटाक्ष किये गये हैं और यह बदलाया

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