Book Title: Jain Itihas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 30
________________ (२०) मूक जीवों के साथ कहीं २ वडी निर्दयता का बर्ताव दिया है। इतनाहीं नहीं किन्तु उसने बलिदान के लिये सर्वोष्ठ जीवधारी मनुष्य की हत्या को भी विधय बतलाया है। एक समय गौ को भी जिसे ब्राह्मण अत्यत पवित्र समझते है प्राचीन ऋपि बडी निष्ठुरता के साथ बलिदान के लिये मार डालते थे और बलिदान किये हुए माम को जिसे वे पुरोडाश कहते थे, खा भी लेते थे। चूंकि वेद ऐसी अमानुपिक कार्रवाइयों का विधान करते थे। यही कारण है कि जैन इन वेदों को हिसक श्रुतियों के नामसे पुकारते थे। हिन्दू धर्म--शास्त्र, ऐसे सिद्धान्तों से भरे पडे हैं जो अपने अनुयायियों को कल्पित देव और देवियों को प्रसन्न करने के लिये निरपराधी जीवों का खून बहाने की आज्ञा देते है। उन्हीं सिद्धान्तो के कारण असंख्य जीवों का बलिदान हुआ है । यदि वे जीव न मारे जाते तो वे मनुष्य के लिये कई तरह से उपयोगी होकर उसके सुख और समृद्धि की वृद्धि करते । आज हम देखते है कि अमुक वकरी, अमुक भेड और अमुक मैंस आनन्द पूर्वक चर रही है परन्तु दूसरे ही दिन यह दिखाई देता है कि संसार में उनका अस्तित्व ही नहीं है। परन्तु जैन धर्म ने इन भयंकर वलिदानो का बडी जोर के साथ निषेध किया, वेदो के कठोर रिवाजो की जड पर

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