Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 09 Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granthratna Karyalay View full book textPage 6
________________ ५१२ जैनहितैषी विश्वासके अनुसार अपने उपास्य देवकी आराधना करें। वे इस बातके लिए मजबूर नहीं किये जाते हैं कि तुम अमुक ही धर्मका पालन करो । आश्रमके संचालक कहते हैं कि " जिन भलाई बुराईकी बातोंका सम्बन्ध वर्तमान जीवनसे है उन्हींको बतला देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं । पारलौकिक बातोंके लिए प्रत्येक व्यक्तिको अधिकार है कि वह उन्हें अपने माने हुए मत या बुद्धिके अनुसार चाहे जैसा माने । उसमें हस्तक्षेप करनेका हमें अधिकार नहीं।" हमारी जैनसंस्थाओंकी दशा ठीक इसके विपरीत है। हम तो प्रत्येक धार्मिक क्रिया छात्रोंकी इच्छाके विरुद्ध-बलात् करानेमें ही धर्म समझते हैं। यदि किसी छात्रने अपना कोई ऐसा विचार प्रगट कर दिया जो संचालकोंके विचारोंसे विरुद्ध है तो वह तत्काल ही अर्धचन्द्र देकर अलग कर दिया जाता है। ___ पाठ्य विषयोंमें गणित विज्ञान और ड्राइंगका पढ़ना प्रत्येक विद्यार्थीके लिए आवश्यक है। छट्ठी कक्षा तक कोई कोर्स नियत नहीं है; अध्यापक अपनी इच्छानुसार उत्तमोत्तम पुस्तकें चुनकर पढाते रहते हैं। आगे बंगाल यूनीवर्सिटीके पठनक्रमके अनुसार मिडिल व एण्ट्सकी पढ़ाई होती है। ___ गणित-इस विषयको प्रो० जगदानन्दराय मुख्याध्यापक पढाते हैं। विज्ञान-मि० पियरसन पढ़ाते हैं । आप अँगरेज़ हैं और आक्सफोर्ड यूनीवर्सिटीके एम. ए. तथा कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटीके बी. एस. सी. हैं । श्रीयुत सन्तोषकुमार मजूमदार बी. एस. सी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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