Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 13
________________ २. पुद्गल संसार की रचना में दो द्रव्यों का प्रमुख भाग है। पहला जीव (चेतन) या प्रात्मा और दूसरे को प्रकृति (जड़) या अचेतन कहा जाता है। जैनाचार्यों ने प्रकृति (जड़) को पुद्गल के नाम से पुकारा है और पुद्गल शब्द की व्याख्या उसके नाम के अनुरूप ही उन्होंने की है 'पूरयन्ति गलयन्ति इति पुद्गलाः' अर्थात् पुद्गल उसे कहते हैं जिसमें पूरण और गलन क्रियाओं के द्वारा नयी पर्यायों का प्रादुर्भाव होता है। विज्ञान की भाषा में इसे फ्यूजन व फिशन (Fusion ard Firsion) या इन्टिग्रेशन व डिसइन्टिग्रेशन ( Integration and disintegration) कहते हैं। एटम बम को फिशन बम और हाइड्रोजन बम को फ्यूजन बम इसी कारण कहा गया है । एटम बम में एटम के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और तब शक्ति उत्पन्न होती है और हाइड्रोजन बम में एटम परस्पर मिलते हैं और तब उसमें शक्ति का प्रादुर्भाव होता है । पूरण और गलन क्रियाओं को पूर्णरूप से समझने के लिये 'एटम' की बनावट पर कुछ प्रकाश डालना पड़ेगा। जैसा कि 'तन्वार्थ सूत्र' के पञ्चम अध्याय-सूत्र नं० ३३ में कहा गया है स्निग्धाक्षत्वाबंधः' अर्थात् स्निग्ध और ममत्व गुणों के कारण एटम एक सूत्र में बंधा रहता है। पूज्यपाद स्वामी ने 'सर्वार्थसिद्धि' टीका में एक स्थान पर लिखा है 'स्निग्घरुक्षगुणनिमित्तो विद्युत्' अर्थात् बादलों में स्निग्ध

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