Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 32
________________ जा रहा है । याद रहे मूर्य का सम्पूर्ण वजन १०२२ (टेन टू दि पावर ट्वन्टी टू ) याने लगभग २० हजार शंख टन है। तीर्थकों की बताई हुई पुद्गल की व्याख्या का यह कितना सुन्दर समाधान है। जैन अणु सिद्धान्त की उपयुक्त मान्यतायें नितान्त अनूठी और विज्ञानसिद्ध हैं । ऐसी ही और भी बहुत बातें हैं जो तीर्थकरों के अनन्तज्ञान का बोध कराती हैं । पाठक इतने से ही संतोष करें।

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