Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 76
________________ है और भाप से इजन चलता है, उसी प्रकार हमारे शरीर रूपी इजन को चलाने के लिये शक्कर अथवा ग्लाइकोजन की आवश्यकता होती है। जब किसी कारण से पेंक्रियाज ग्रन्थि निकम्मी हो जाती है और उसमें इन्सुलिन (Insulin) का बनना बन्द हो जाता है तो शक्कर से ग्लाइकोजन नहीं बनता और शक्कर कुछ तो पेशाब में मिलकर बाहर निकल जाती है और उसका कुछ भाग हमारे रक्त में प्रवेश कर जाता है । इस रोग को मधुमेह (Diabetes) कहते हैं । प्राज घर-घर में स्त्री-पुरुषों को- यहाँ तक कि बच्चों को भी मधुमेह का रोग हो रहा है, जिससे मनुष्य धीरे-धीरे काल को पोर अग्रसर होता जाता है। डाक्टर लोग इस रोग के होने के अनेक कारण बताते हैं जिनमें एक कारण है मन में चिन्तामों का होना । पंक्रियाज़ के निकम्मे हो जाने का क्या कारण है, यह कोई डाक्टर भी नहीं बतलाता । कोई १५ वर्ष पहले की बात है वैज्ञानिक पत्रों में एक लेख प्रकाशित हुआ था 'सफेद शक्कर का खतरा' (Darger of white sugar) जिसमें इंग्लैण्ड (England) की संसद से यह मांग की गई थी कि ऐसा कानून बन जाना चाहिये कि शक्कर को इस सीमा तक साफ नहीं करना चाहिये कि उसमें सौ-फी-सदी काबोहाइड्रेट ही रह जाय अर्थात् कुदरती शक्कर में जो विटामिन 'ए' और सी' पाये जाते हैं उनको सम्पूर्ण रूप से विलग न किया जाय ; क्योंकि सफेद शक्कर मधुमेह उत्पन्न करता है और देशी बूरा नहीं करता । इससे

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