Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 86
________________ ७८ कर सुखी रहना चाहता है तो उसे २४००० श्वाँस लेने के बाद ही भूख लगने पर भोजन करना चाहिये । हम एक मिनट में १८ बार श्वांस लेते हैं तो एक घण्टे में ( ६०x१८ ) १०८० श्वांस हुये । मोटे रूप से इसे हम १००० के ही लगभग मानें तो २४ घण्टे में कुल श्वांसों की गिनती २४००० हुई । दूसरे शब्दों में यदि हम देवताओं के तुल्य स्वस्थ श्रौर दीर्घायु होना चाहते हैं तो हमें २४ घण्टे में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिये, क्योंकि २४ घण्टे में ही हमारे २४००० श्वांस पूरे होते हैं । मनुष्य क्यों मरता है ? उसका एक उत्तर यह है कि प्राणिमात्र के रक्त में एक रासायनिक पदार्थ मिला हुआ होता है जिसे शास्त्रकारों ने 'अमृत' के नाम से पुकारा है और कर्मानुसार भिन्न-भिन्न प्राणियों में इसकी मात्रा न्यूनाधिक होती है । रेडियो Valve के अन्दर फिलामेंट ( Filament ) के ऊपर चूने का एक लेप चढ़ा रहता है (A coat of Calcium and Strontium Osides ) जैसे-जैसे हम रेडियो को व्यवहार में लाते हैं, लेप की मोटाई कम होती जाती है। और एक दिन जब लेप सम्पूर्णतया समाप्त हो जाता है तब रेडियो प्राणहीन हो जाता है अर्थात् बोलना बन्द कर देता है । इसी प्रकार जीवन की क्रियाओं में रक्त मिश्रित श्रमृत एक ओर तो शनैः शनैः व्यय होता रहता है और दूसरी ओर हमारे भोजन में मिले हुए टोक्सिन्स (Toxing) के द्वारा विषाक्त होता जाता है और जब यह अमृत पूर्णतया समाप्त हो जाता है या विष मिश्रित हो जाता है तो मनुष्य की मृत्यु

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