Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 95
________________ १२. जगत्-उत्पत्ति हिन्दुनों के संकल्प मन्त्र के अनुसार इस पृथ्वी का जन्म प्राज से १ अरब ६७ करोड़ २६ लाख ४६ हजार ७२ वर्ष पूर्व हुआ। (ओ३म तत्सत् ब्रह्मणे द्वितीये पगढे, श्री श्वेत वागह कल्पे, वैवस्वत मन्वन्तरे, अष्टा-विशति तमे युगे. कलियुगे कलि प्रथम चरणे इत्यादि ।) कुछ समय पूर्व साइन्म की भी यही धारणा थी कि पृथ्वी का जन्म लगभग दो अरब वर्ष पूर्व हुमा किन्तु अब यह मान्यता बदल गई है। एक मान्यता ऐसी है कि पृथ्वी के प्रगान्त महासागर से चन्द्रमा का जाम हुआ। अमृत मथन की कथा मे इसी बात का सकेत मिलता है। जब चन्द्रमा पृथ्वी से पृथक हुअा तो उसकी गति भिन्न थी और यह गति अब घट गई है और जिम रेट से यह घट रही है उमका हिमाव लगाने से सृष्टि की आयु ८ अरब ६० करोड़ वर्ष निश्चित होती है। सृष्टि की आयु मे अभिप्राय यह है कि आज जिम रूप मे हम सृष्टि को देख रहे है, वह रूप ४।। अरब वर्ष पुगना है। सृष्टि की उत्पनि किम प्रकार हुई, विज्ञान के क्षेत्र में इम सम्बन्ध मे चार सिद्धान्त हैं- (१) महान प्राकस्मिक विस्फोट का सिद्धान्त (Big Bang theory) (२) सतत् उत्पत्ति का सिद्धान्त (Continuous creation theory), (३) भंवर सिद्धान्न Whirlpool theory) व (४) महान रश्मि मिद्धान्त (Giant I hoton theory). जायण्ट फोटोन सिद्धान्त के अनुसार प्रारम्भ में सृष्टि एक बहुत

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