Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 81
________________ 8. पेय पदार्थ प्राजकल जो पेय पदार्थ (Cold drinks) बाजारों में बिकते हैं, इनमें शक्कर के स्थान पर मैत्रीन का प्रयोग किया जाता है, मैक्रोन हाजमे को बिलकुल खगब कर देती है। लैमोनेड इत्यादि पदार्थ पीये नो जाते हैं हाजमे को ठीक करने के लिये, लेकिन वो उल्टा उमको खराब कर देते हैं। कुछ ठंडे पेय पदार्थो में अब एलकोहल की मात्रा भी मिलाई जाने लगी है, एलकोहल को मद्य गार कहते हैं. एतएव इन पदार्थों से जहां तक बचा जाय उतना ही अच्छा है। १०. मामाहार थोर थराडे मनुष्य के दांतों की बनावट को देखकर जीव वैज्ञानिकों (Biologists) ने म्पाट घोषणा करदी है कि मांम मनुष्य का प्राकृतिक भोजन नहीं है। मनुष्य ने अपनी जिह्वा लोलुपता के कारण मांसाहार करना सीख लिया है और अप्राकृतिक होने के कारण यह हमारे शरीर में और हमारे विचारों में अनेक प्रकार के दोष उत्पन्न करता है । गादपिता महात्मा गांधी ने भी मामाहार के सम्बन्ध में यही विचार प्रकट किये हैं । अतएव यह निर्विवाद ही है कि मुग्वी जीवन के लिये और अच्छे स्वास्थ्य के लिये मनुष्य को निगमिष भोजो होना चाहिये। अण्डों के सम्बन्ध में योगेपीय दंगों में और अमरीका में यही धारणा थी कि अण्डे शाकाहार का ही एक अंग हैं क्योकि इन को प्राप्त करने में न तो मुर्गी को कोई कप्ट होता

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