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के ४ परमाणु मिलकर हीलियम का एक परमाणु बनाते हैं तो ०.०३२ वजन का क्या हुअा ? यह वजन कहां चला गया ?
प्रो० बीथे ने उसका उत्तर यह कहकर दिया कि ० ०३२ वजन शक्ति के रूप में परिवर्तित हो गया और इमी शक्ति के महारे सूर्य अपने ताप को कायम रखे हुए है अर्थात् वह ठण्डा नहीं होता।
हम ऊपर कह पाये हैं कि एक ग्राम पदार्थ ३००० टन कोयले की शक्ति के बगबर होता है तो ० ०३२ ग्राम वजन लगभग १०० टन कोयले के बराबर हुना, क्योंकि ० ०३२ को ३००० से गुणा करने पर गुणनफल ६६ पाता है। अर्थात् बीथे के सिद्धान्तानुसार जब-जब हाइड्रोजन के ४ परमाण मिलकर हीलियम का एक परमाण बनाते हैं तो लगभग १०० टन कोयले को जलाने से जितनी शक्ति उत्पन्न होती है उतनी ही शक्ति दम प्रक्रिया द्वारा प्राप्त होती है । मूर्य के गर्भ मे मी क्रिया लाग्खों स्थानो पर एक माथ होती रहती है। यही हाइड्रोजन बम का सिद्धान्त है और इमलिये हम कह सकते हैं कि प्रतिक्षण मौ-सौ टन वाले हैजागे हाइड्रोजन बम मूर्य के अन्दर लगातार टूटते रहते हैं और उनसे जो शक्ति प्राप्त होती है वह मकल ब्रह्माण्ट में फैलती रहती है । इस तरह सूर्य का तापक्रम एक-मा बना रहता है । परिणाम यह होता है कि प्रत्येक हाइड्रोजन बम टूटने के समय मूर्य का वजन किञ्चिन (०.०३२) घट जाता है।
जितनी शक्ति सूर्य में से निकलती है उसके कारण सूर्य का वजन ४६ हजार टन प्रत्येक मिनट में कम होता