Book Title: Jain Darshan aur Vigyan
Author(s): G R Jain
Publisher: G R Jain

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Page 29
________________ दोनों पदार्थ एक दूसरे से बिलकुल भिन्न हैं चित्र ८ (a) को देखने से ज्ञात होगा कि बैरीलियम के परमाणु में दो एल्फा कण और एक न्यूट्रौन (मनसुखा) है। बाहर से भेजा हुआ एक एल्फा कण जब बैरीलियम के परमाणु को बेधता हुश्रा उसके हृदय में जा बसता है तो बेचारा मनसुखा (न्यूट्रीन) बाहर धकेल दिया जाता है और जो नया परमाणु बनता है वह कार्बन का परमाणु है । यहां भी पुदगल की दोनों क्रियाओं में पूरयन्ति और गलयन्ति प्रदर्शित हो रही हैं । ऊर्जा (Energy)ौर पदार्थ (Matter) में समानता जैन तीर्थकरों ने प्राताप (heat), उद्योत (light), विद्युत (Electricity) इन शक्तियों को पुद्गल का अति सूक्ष्म स्वरूप बतलाया है, किन्तु विज्ञान के क्षेत्र में यह मान्यता केवल ५० या ५५ वर्ष पुरानी है । जर्मनी के प्रो० अलबर्ट आइन्सटाइन ने सबसे पहले एक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जिसे पदार्थ व ऊर्जा का समानता सिद्धान्त (Principle of Equivalance between mars ard energy) कहते हैं । सूत्र रूप से इसे E = mc कहा गया है । E का अर्थ है एनर्जी, m का अर्थ है माम (पदार्थ) और C प्रकाश की गति का द्योतक है । बोलचाल की भाषा में इसे यूप्रकट कर सकते हैं '३००० टन पत्थर के कोयले को जलाने से जितनी शक्ति उत्पन्न होती है उतनी ही शक्ति एक ग्राम पदार्थ में से प्राप्त हो सकती है जब वह पदार्थ अपने स्थूल रूप को नष्ट करके शक्ति के सूक्ष्म रूप में परिणत हो जाता है, जो बात सैंकड़ों वर्षों से जैन शास्त्रों में छिपी पड़ी थी उसी को आइन्सटाइन ने एक गणित के मूत्र रूप में दुनिया के सामने रक्खा।

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