Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ संवत् के आधार पर वर्द्धमान महावीर से बुद्ध लगभग 30 वर्ष छोटे सिद्ध होते हैं। पालि साहित्य में महावीर को बुद्ध के समकालीन छह तीर्थंकरों में माना गया है I डॉ. रमेशचन्द्र गुप्त लिखते हैं.. "जैनधर्म के समान ही बौद्धधर्म भी श्रमण परम्परा का एक निवृत्तिमार्गी धर्म है। सामान्यतया इस धर्म के संस्थापक के रूप में गौतम बुद्ध को माना जाता है। गौतम बुद्ध जैनधर्म के अन्तिम तीर्थकर महावीर के समकालीन हैं। "" निष्कर्ष प्राचीन अभिलेखों में श्रमण परम्परा तथा उसके प्रमुख प्रवक्ता महावीर के सम्बन्ध में प्रचुर उल्लेख मिलते हैं । तत्सम्बन्धी अनेक साहित्यिक मान्यताओं को मूर्तिकारों तथा चित्रकारों ने भी अपनी कृतियों में मूर्तरूप प्रदान किया। महावीर के जीवन से सम्बन्धित पुरालेखों, मूर्तियों के रूप में प्रामाणिक और विश्वसनीय निर्देश मिलते हैं। जैनमत में मान्य 21 तीर्थकरों का अस्तित्व वैदिककाल के पूर्व भी विद्यमान था, लेकिन इतिहास के साधन इस परम्परा के मूल तक अभी तक पहुँच नहीं पाये हैं। उपर्युक्त उपलब्ध पुरातत्त्व अभिलेखों, शिलालेखों, प्राचीन पाषाणप्रतिमाओं एवं समकालीन ऐतिहासिक पुरुषों के विवेचन के आधार पर भगवान महावीर के जीवन विषयक कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों के संकेत प्राप्त होते हैं। ऐतिहासिक काल में भगवान महावीर की वीतराग मूर्ति का अधिक मात्रा में प्रचलन था। यह तथ्य हाथीगुम्फा, खण्डगिरि, उदयगिरि आदि के मूर्ति अभिलेखों से प्राप्त होता है। जैन आगमों में भगवान महावीर भगवान महावीर के सम्बन्ध में स्पष्ट रूप से कुछ प्राचीनतम साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध होते हैं । 'ऋषिभाषित' में महावीर और बुद्ध के पूर्ववर्ती तथा समकालीन 45 ऋषियों के नामोल्लेखपूर्वक उपदेश संकलित हैं। इनमें ब्राह्मण परम्परा के, बौद्ध परम्परा के तथा अन्य स्वतन्त्र श्रमण परम्परा के ऋषियों में मंखलि गोशालक आदि के तथा जैन परम्परा के पार्श्व एवं वर्द्धमान के उपदेश भी संकलित हैं। अतः वर्द्धमान की ऐतिहासिकता में कोई सन्देह नहीं है । 'आचारांग' के द्वितीय श्रुतस्कन्ध में महावीर के माता-पिता को स्पष्ट रूप से पार्श्व का अनुयायी बताया गया है। महावीर के पूर्व निर्ग्रन्थों की परम्परा थी और यह पार्श्वनाथ की हो सकती है। 'उत्तराध्ययन' में स्पष्ट रूप से महावीर को अचेल धर्म का प्रतिपादक कहा गया है। सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन, भगवती आराधना एवं अन्य आगम ग्रन्थों में पार्श्वनाथ को चातुर्याम धर्म का और महावीर को पंचमहाव्रत धर्म का 1. डॉ. रमेशचन्द्र गुप्त तीर्थकर बुद्ध और अवतार, 9. 13 भगवान महावीर की जीवनी के स्रोत : 19

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 154