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अनुमान किया जा सकता है, जैसे-अभिधेय और प्रमेय। जो अभिधेय है, वह प्रमेय है और जो प्रमेय है, वह अभिधेय है। बौद्ध एवं वेदान्त ने कार्य-कारण का तात्म्य सम्बन्ध को स्वीकार किया है। नैयायिकों के अनुसार उपाधि का साध्य समव्याप्ति तथा अव्याप्त साधन होना चाहिए। जैसे-धुएं से अग्नि का अनुमान नहीं करके कोई अग्नि से धुएं का अनुमान करे तो यह अनुमान उपधि दुष्ट व्याप्ति पर निर्भर होने के कारण भ्रमात्मक हो जाएगा, क्योंकि यहां धूम साध्य है
और अग्नि साधन है, और आग में तभी धुआं हो सकता है, जब आग की उत्पत्ति भीगे ईंधन से हुई हो।
अतः नियत और अनौपाधिक सम्बन्ध को ही व्याप्ति सम्बन्ध कहा जाता है।