Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 72
________________ दर्शन शब्द का शाब्दिक अर्थ देखना होता है। अब प्रश्न उठता है कि किसको देखना है? भारतीय मनीषियों के अनुसार सत्य को देखना या सत्य का साक्षात्कार करना या साक्षात् अनुभव करना ही दर्शन कहलाता है। व्युत्पत्ति की दृष्टि से इसका अर्थ-"जिसके द्वारा देखा जाए" होता है। अंग्रेजी में इसे फिलोसॉफी कहा जाता है। फिलॉसफी दो शब्दों के योग से बनती है-Philo+Logos | Philo का अर्थ बुद्धि और Logos का अर्थ ज्ञान होता है। अर्थात् बौद्धिक ज्ञान ही दर्शन है। इस सम्बन्ध में फ्रेंक थिली (Thilly) ने ठीक ही लिखा है-"The fundamental concept in the system of philo is the idea of God. God is an absolutely transcent being, so far above us that we cannot comprehend him or define him, he is the inflabtion, the greatest good, who is above both knowledge and virtue. All such powers he combines into one, the logos, the divine reason or wisdom". एच.एम. भट्टाचार्य के शब्दों में "The word philosophy comes from the Greek words philos, love and sophia, wisdom. Socrats liked to be a philosopher, a humble lover of wisdom unlike the sophists the wise men... So in India philosophy arose from the deeper needs of spiritual life." अर्थात् पाश्चात्य दर्शन बुद्धि-प्रेम है और भारतीय दर्शन आध्यात्मिक जीवन का शास्त्र है। चूंकि इसकी उत्पत्ति आध्यात्मिक असन्तोष से हुई है जबकि पाश्चात्य दर्शन की उत्पत्ति कौतुहल अथवा जिज्ञासा से हुई है। जहां तक दोनों के बीच के सम्बन्ध का प्रश्न है, इसे तीन तरह से अथवा तीन दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है (क) दोनों में समानता के दृष्टिकोण से, (ख) दोनों में अन्तर के दृष्टिकोण से और (ग) वास्तविक दृष्टिकोण से। (क) समानता का दृष्टिकोण दर्शन तथा विज्ञान में निम्नलिखित प्रमुख समानताएँ दृष्टिगत होती हैं 1. दोनों की उत्पत्ति जिज्ञासा से होती है। मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु है। वह विश्व के प्रत्येक रहस्य को जानने के लिए सदैव व्यग्र रहता है। जब भी उसके सम्मुख कोई नवीन घटना घटती है तो उसका कारण जानने के लिए वह बेचैन हो जाता है। जीवन और जगत् के रहस्यों की व्याख्या करना ही दर्शन और विज्ञान का काम है। 2. दोनों का उद्देश्य अथवा लक्ष्य भी एक ही है। सत्य की खोज एवं विश्व की संगत व्याख्या प्रस्तुत करना ही दोनों का लक्ष्य है। 3. दोनों की विधि एक ही है। दोनों बौद्धिक (Rational or intellectual) पद्धति की सहायता से सत्य की व्याख्या करते हैं। दोनों ही 72

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