Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 85
________________ परम्परा को आगे बढ़ाया है और अनुभववाद का पूर्ण विकास लॉक बर्कले तथा हयूम के विचारों में पाते हैं। लॉक के अनुसार ज्ञान के विषय प्रत्यय हैं। प्रत्ययों के अतिरिक्त किसी अन्य वस्तु की जानकारी हमें नहीं होती है। लॉक ने प्रत्ययों को दो भागों में बांटा है- सरल और जटिल । जटिल प्रत्यय सरल प्रत्ययों के योग से ही निर्मित होते हैं। इसलिए सरल प्रत्यय ही ज्ञान के प्रारम्भिक निर्णायक तत्त्व हैं। सरल प्रत्ययों का ज्ञान सिर्फ अनुभव के द्वारा होता है। जहां तक बुद्धि का प्रश्न है, लॉक का कहना है कि बुद्धि अनुभव के द्वारा प्राप्त प्रत्ययों को निष्क्रिय रूप से ग्रहण करती है। इन्होंने (लॉक ने) दो प्रकार के अनुभव को स्वीकार किया है- संवेदन और अन्तः प्रेक्षण संवेदन इन्द्रियों से ही संभव हो पाते हैं और वे बाह्य वस्तुओं के गुणों को व्यक्त करते हैं । अन्तः प्रेक्षण आन्तरिक निरीक्षण के रूप में जाना जाता है। इससे संकल्प, विचार इत्यादि मनोदशाओं अथवा मनःस्थितियों की अभिव्यक्ति होती है । मन के अन्तर्गत जितने भी प्रत्यय हैं, वे सभी संवेदन अथवा अन्तः प्रेक्षण द्वारा प्राप्त हुए हैं। अतः सब कुछ अर्जित है। ऐसी कोई भी चीज नहीं है जो पूर्व से ही इन्द्रियों में निहित न थी लॉक ने स्वयं कहा है कि "There is nothing in the intellect which was not previously givenin the senses." इन्होंने ज्ञान–प्रक्रिया में तीन तत्त्वों को स्वीकार किया है(1) अनुभवकर्त्ता अथवा विषयी, (2) वस्तु या विषय और (3) प्रत्यय। अनुभवकर्त्ता वस्तुओं की जानकारी प्रत्ययों से प्राप्त करता है यानी ज्ञान वस्तुओं का होता है। ज्ञान प्राप्त करने वाला अनुभवकर्त्ता कहलाता है और ज्ञान का माध्यम प्रत्यय है। 91 बर्कले - इन्होंने द्रव्य की सत्ता का निषेध किया है। इसके कारण इन्हें बहुत ही ख्याति मिली है। इनका कहना है कि भौतिक वस्तुएँ अनुभवकर्त्ता पर ही निर्भर करती हैं। रसेल ने ठीक ही लिखा है कि "George Berkeley (16851753 ) is important in philosophy through his denial of the existence of matter-a denial which he supported by a number of ingenious arguments. He maintained that material objects only exist through being perceived इस तरह इनके दर्शन में कहीं लॉक से भी अधिक संगत अनुभववाद दृष्टिगत होता है। लॉक की आलोचना करते हुए इन्होंने बतलाया है कि अनुभव मात्र को प्रमाण माननेपर किसी अनानुभूत पदार्थ की सत्ता को स्वीकार करना असंगत सिद्ध होता है। लॉक ने द्रव्य की सत्ता को स्वीकार कर लिया है। इसके लिए उन्होंने अनुमान का सहारा लिया है। दूसरी गलती गुणों के विभाजन में किया है। उन्होंने मुख्य गुणों को अनुभव निरपेक्ष बतलाया है और गौण गुणों को अनुभव सापेक्ष बतलाया है और गौण गुणों को अनुभवकर्त्ता पर निर्भर बतलाया है। बर्कले की दृष्टि में गौण गुण और प्राथमिक गुण दोनों ही अनुभवकर्ता पर निर्भर करते हैं। इनका कहना है कि भौतिक 85

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