Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 84
________________ वस्तुनिष्ठ विज्ञानों के निष्कर्ष हमेशा वस्तुसंवादी होते हैं। यही कारण है कि अनुभवजन्य ज्ञान वस्तुसंवादी होता है। अनुभव से प्राप्त ज्ञान भले ही सार्वभौम और अनिवार्य नहीं होता है किन्तु इसमें नवीनता का गुण रहता है। ज्ञान के लिए नवीनता आवश्यक है। अनुभवजन्य ज्ञान वास्तविक वस्तुओं के विषय में होता है। इस तरह का ज्ञान सार्वभौम एवं अनिवार्य नहीं हो सकता है चूंकि भूत, वर्तमान और भविष्य का अनुभव संभव नहीं है इससे सार्वकालिक ज्ञान संभव नहीं है इसीलिए विद्वानों का कहना है कि अनुभवजन्य ज्ञान संभाव्य होता है। इसे पूर्ण निश्चित नहीं कहा जा सकता है। अनुभव के स्वरूप के सम्बन्ध में अनुभववादियों के बीच मत वैभिन्नता है। कुछ विचारकों ने ऐन्द्रिय या बाह्य अनुभव को ज्ञान का साधन माना है। इनके सिद्धान्त अथवा मत को संवेदनवाद कहा जाता है। कुछ विचारकों ने ऐन्द्रिय एवं आन्तरिक अथवा मानसिक दोनों प्रकार के अनुभव को ज्ञान का साधन माना है। अतः दोनों में मतान्तर है। फिर भी सभी अनुभववादियों ने एक स्वर में स्वीकार किया है कि अनुभव ही ज्ञान का उद्गम (स्रोत) है। सभी ने निरीक्षण की महत्ता को स्वीकार किया है। निरीक्षण या इंद्रियानुभव ही सभी प्रकार के ज्ञान का आधार है। सी.ई.एम. जोड ने ठीक ही लिखा है कि- "Observation alone can inform us of the nature of what exists. Those who have insisted that observation or sense experiene is the basis of all knowledge are known as empirical philosophers or as empiricists from the Greek word EUTTEIPIA, which means experience." ..89 जहां तक इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का प्रश्न है, अनुभववाद उतना ही पुराना है, जितना कि दर्शनशास्त्र । यह अत्यन्त ही प्राचीन काल से चला आ रहा है प्राचीन काल में प्रोटागोरस जेनो आदि इसके समर्थक बतलाये जाते हैं। प्रोटागोरस यूनान के अनुभववादी दार्शनिक हैं। इन्होंने सोफिस्ट सम्प्रदाय की स्थापना की है। इनके अनुसार सिर्फ ऐन्द्रिय अनुभव या संवेदन ही यथार्थ ज्ञान प्राप्ति का साधन है इसीलिए इन्हें संवेदनवादी भी कहा जाता है। स्टोइक सम्प्रदाय (Stoic School) भी अनुभववादी है। इस सम्प्रदाय के संस्थापक के रूप में जेनो को याद किया जाता है। इनके (जेनो के ) मुताबिक ऐन्द्रिय अनुभव ही ज्ञान का साधन है । आधुनिक पाश्चात्य अनुभववादी दार्शनिकों में लॉक, बर्कले और हयूम को याद किया जाता है। सी.ई.एम. जोड ने भी लिखा है कि The English philosophers Locke, Berkeley and Hume are prominent exponents of the empirical school. हालांकि अनुभववाद की जड़ें बेकन और हॉबस की रचनाओं में भी दृष्टिगत होती है इसीलिए कुछ विद्वानों ने बेकन और हॉब्स को भी अनभववाद का प्रबल समर्थक बतलाया है। इन विचारकों ने नामवादी 90 84

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