Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 159
________________ तपोभूमि गया एवं राजगृह आज भी बौद्ध बिहार का नमूना पेश कर ही रहा है। किन्तु अतातायियों के अत्याचार से कुछ शिथिलता अवश्य आई है। उसे दर करना हम सबका कर्त्तव्य है और अपने कर्तव्य का निर्वाह करने और कर्त्तव्य के बल पर ही ब्रह्मा जगत् की सृष्टि करते हैं। विष्णु जग का पालन करते हैं और शिव विघ्नों का संहार करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने ठीक ही लिखा है तपबल सृजइ प्रपंच विधाता। तपबल विष्णु सकल जगत्राता।। तपबल संभु करहिं संघारा । तपतें अगम न कछु संसारा।।। इतना ही नहीं इन्होंने तप को ही सृष्टि का आधार माना है। तप, त्याग बुद्ध और महावीर के लिए श्रेय का आधार ही है। अतः बिहार कर्त्तव्य और त्याग का नमूना पेश करने वाला प्रदेश सिद्ध होता है। बुद्ध का जन्मस्थान अभी नेपाल में पड़ता है। किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से बिहार ही नहीं बल्कि भारत का अधिकांश भाग और नेपाल की संस्कृति एक ही है। प्राचीनकाल में यही मिथिला कहलाता था। अभी भी भारत के नागरिक बद्ध के जन्मस्थल पर जल चढाने जाते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। जनकपुर में भी भारतियों की भीड़ लगी रहती है और नेपाली बन्धु भी सहज ही भारतवासियों से मिल-जुलकर काम करते रहे हैं। धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता को यदि स्वीकार कर लिया जाए तो पुराना मिथिला और आज का बिहार को मात्र हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का ही नहीं बल्कि अन्य धर्म एवं संस्कृति के उन्नायकों में से एक माना जा सकता है। जनक नन्दनी सीता का दूसरा नाम श्री भी है। और श्री ही नहीं बल्कि मां सीता, कीर्ति, वाक्य, स्मृति, मेधा और क्षमास्वरूपा भी हैं। शायद इनकी सत्ता एवं महत्ता को ध्यान में रखकर ही श्रीकृष्ण भगवान् ने कहा है कि मृत्यु सर्वहरश्चाहमुदभवश्च भविष्यताम्। कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा घृतिः क्षमा।।138 जिन्होंने देवर्षियों में स्वयं को नारद कहा, सिद्धों में कपिल कहा, बुद्धिमानों में शुक्राचार्य, पाण्डवों में स्वयं को अर्जुन और इसी तरह कभी अपने को भृगु, बृहस्पति आदि भी बतलाया। उन्होंने नारियों में अपने को श्री, कीर्ति, वाक्य, स्मृति, मेधा, घृति और क्षमा बतलाया है। अतः श्री आदि जो स्वयं सीता माँ का उपनाम है, वही सम्पूर्ण भारत के विकास एवं समृद्धि का कारण है। बिहार का सपूत कौटिल्य अत्याचारी नन्दवंश का नाश कर चन्द्रगुप्त मौर्य को पदासीन किया। नन्दवंश का विनाश और मौर्यवंश की स्थापना जगत् प्रसिद्ध घटना का उदाहरण है। सम्राट अशोक का कलिंग विजय चण्डाशोक से धर्मपरायण प्रतापी राजा अशोक की अन्य करामतें भी कम प्रसिद्ध नहीं हैं। उस समय भारत की समृद्धि का आधार बिहार ही था। बिहार ने ऐसे अनेकानेक चिन्तकों को पैदा किया है, जिन्होंने भारत की समृद्धि एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज भी बिहार का विक्रमशिला एवं नालन्दा विश्वविद्यालय का अवशेष अपनी शैक्षणिक ऊँचाइयों को याद दिला रहा है। पटना का कदमकुआं, भारत का राष्ट्रीय उच्च पथ जो कभी 159

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