Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 161
________________ अत: बिहार का भारत के विकास में अहम् भूमिका रही है और आगे भी इससे कामना रख सकते हैं। अतः दिनकर शिखर पुरुष थे। उनकी प्रेरणा से शिखर पर पहुंचा जा सकता है। बिहार का वैशाली आज भी भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के इतिहास में अनोखा लोकतंत्र का उदाहरण पेश किया है। लिच्छवी वंश के द्वारा निर्मित व्यवस्था आज भी लोकतंत्र के समर्थकों के लिए प्रेरणास्रोत है। यहां के आम्रपाली ने अजातशत्र का दिल बदल दिया। कर्ण का चरित्र और महाभारत पर आधारित रश्मिरथि में कर्ण का चरित्र आज भी प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। वह बिहार का अंगदेश जो आधुनिक मुंगेर कमीश्नरी है, कर्ण की तपोभूमि रहा है। इसी तपोभूमि के कारण कर्ण का दानी होना और शूरवीर होना संभव हो सका है। यदि इस धरती से उसे प्रेरणा न मिली होती तो शायद कर्ण की प्रसिद्धि इतनी अधिक नहीं होती। भीष्म पितामह जो पहले उन्हें अर्द्धरथि कहा करते थे. उनकी मित्रनिष्ठा एवं शूरवीरता के कारण अन्तिम क्षणों में महारथी होना स्वीकार कर लिया है। कृष्ण जो स्वयं परमेश्वर ही कहे जाते हैं उनकी राजनीति एवं कूटनीति भी कर्ण के आगे नहीं चल सकी। वह चाल भी कर्ण की दृष्टि में खोटा सिक्का महसूस हुआ। लगता है कृष्ण की जांच में वे सफल निकले इसीलिए अन्मि में भीष्म एवं श्रीकृष्ण ने भी यशस्वी होने का वरदान दे ही दिया। यह घटना अर्थात् इनकी दानशीलता, शूरवीरता, गुरुभक्ति एवं मित्रता बिहार के लिए ही नहीं पूर्ण विश्व के लिए प्रेरणादायक है। यह कर्ण की प्रतिष्ठा को भारत में चमकाने वाली धरती है, मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि यह धरती बिहार को दिशा प्रदान करेगा ही सम्पूर्ण भारत के विकास के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगा। और भारत की समृद्धि बढ़ने पर विश्व की वर्तमान समस्याओं का भी निदान संभव हो सकेगा। गुरुभक्ति और मित्र-निष्ठा व्यक्ति विशेष के लिए ही नहीं बल्कि एक देश का दूसरे देश के साथ मित्रता के भाव और क्रिया को सुदृढ़ बनाने में कारगर सिद्ध हो सकता है। मुंगेर का योग विश्वविद्यालय आज भी नालन्दा विश्वविद्यालय की याद दिला रहा है। नालन्दा की तरह आज भी योग विद्या को ग्रहण करने के लिए देश की जनता ही नहीं बल्कि विश्व की जनता लाभ उठा रही है। योग की बात से महर्षि पतंजलि की याद आती है। चूंकि योग के प्रणेता वहीं थे। उन्हीं की विद्या से विश्व में योग क्रिया अथवा योगासन द्वारा विभिन्न बीमारियों को दूर करना और साथ ही साथ अन्तिम ध्येय मोक्ष की प्राप्ति संभव हो जाती है। आज उस विरासत को बिहार का मुंगेर मात्र उसे बचाया ही नहीं बल्कि उपयोगिता एवं प्रासंगिकता को बरकरार रखा है। विज्ञान के क्षेत्र में भी बिहार पीछे नहीं है। आर्यभट्ट ने भारत के लिए ही नहीं विश्व के वैज्ञानिकों के लिए अगुआ का काम किया है। मैथमैटिक्स में दशमलव का जन्मदाता इन्हें ही माना जाता है। मैथमैटिक्स में ही नहीं बल्कि विज्ञान के और आयामों में इनकी देन महत्त्वपूर्ण है। आज वशिष्ट नारायण 161

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