Book Title: Gyan Mimansa Ki Samikshatma Vivechna
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 138
________________ अधिक खा ले और वह मर जाये तो हम कहेंगे कि भोजन की अधिक मात्रा ही उसके मरने का कारण है। (iii) जब हम किसी कारण को निश्चित करते हैं तो उसे निश्चित करने से पहले प्राक्कपना करना पड़ता है और यह प्राक्कलपना का संकेत हमें सहगामी विचरणा विधि से अधिक मिलता है। (iv) जब हमें किसी के कारण घटना का पता व्यतिरेक विधि के द्वारा चल जाता है तो कारण का कितना अंश फल के कितने अंश को पैदा करता है, इसे हमें जानने के लिए सहगामी विचरणा विधि की सहायता लेनी पड़ती है। (v) हम जानते हैं कि इस विधि का व्यवहार सामाजिक क्षेत्र से सुगमता से होता है, जैसे- जितनी ही अधिक संख्या में मनुष्य जन्म लेंगे उतनी ही संख्या में मरेंगे भी। दोष - अब जहां तक इसके दोष का प्रश्न है, वह निम्नलिखित है । (i) इस विधि का पहला दोष यह है कि जहां परिभाषा में भेद होता है, वही इस विधि का प्रयोग हो सकता है। गुण के घटने या बढ़ने से इसका सम्बन्ध नहीं है। जैसे - लाल रंग अधिक लाल होने से दूसरे रंग में बदल जाता है । (ii) हम जानते हैं कि किसीनियम की घटने या बढ़ने की एक सीमा होती है। उस सीमा के बाद घटने या बढ़ने का नियम बदल जाता है। जैसे- जितनी गर्मी बढ़ती है, उतना फैलाव होता है और जितनी ठण्ड होती है, उतना सिकुड़न होता है । (iii) अकस्मात् किसी कारण से किसी घटना का परिमाण घटने या बढ़ने लगे तो वहां इस विधि का प्रयोग हीं होता है, जैसे- कभी-कभी कारण कार्य में तुरन्त परिणत नहीं हो पाता है । (iv) जब किसी घटना का परिमाण घटता या बढ़ता है तो घ्ज्ञटना का गुण बदलता है। ऐसी परिस्थिति में इस विधि का प्रयोग नहीं हो सकता है। जैसे- वायु की कम्पकम्पी से ध्वनि की कितनी ऊँचाई होगी, इस विधि द्वारा नहीं चलता है। (v) कभी-कभी दो बातें एक साथ घटती या बढ़ती हैं लेकिन उनमें कार्य-कारण सम्बन्ध नहीं होता है, जैसे- जाड़ा और रात का बढ़ना जितनी तेजी से जाड़ा बढ़ती है। रात भी उतना ही तेजी से बढ़ी होती है। अतः इस विधि के द्वारा सिद्ध करना है कि जाड़ा के कारण रात बड़ी होती है गलत होगी । अवशेष विधि समुचे आगमन तर्कशास्त्र के क्षेत्र में वैज्ञानिक आगमन का एक बहुत बड़ा स्थान है। वैज्ञानिक आगमन का काम एक पूर्णव्यापी वास्तविक वाक्य की स्थापना करना है। इसके लिए वैज्ञानिक आगमन को प्रकृति - समरूपता - नियम और कार्य-कारण- नियम से मदद लेना पड़ता है। अतः इस दृष्टिकोण से हम यह भी कह सकते हैं कि कार्य-कारण- नियम की स्थापना करना और 138

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