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आगमन, निगमन, निरीक्षण, कल्पना आदि की सहायता लेते हैं। दोनों मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं अर्थात् दोनों की जननी आवश्यकता ही है।
(ख) विभिन्नता का दृष्टिकोण
दोनों के बीच समानताएँ अवश्य हैं किन्तु अन्तर भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। विचारकों ने दोनों के बीच निम्नलिखित अन्तर अथवा भेद कीओर इशारा किया है
1. दर्शन और विज्ञान में मुख्य अन्तर विषय सम्बन्धी है। दर्शन सम्पूर्ण
विश्व का अध्ययन करना चाहता है, किन्तु विज्ञान विश्व को खेमों में बांटकर अध्ययन करना चाहता है। डॉ. मौलाना अब्दल कलाम ने भी पूर्वीय और पश्चिमी दर्शनशास्त्र के इतिहास की भूमिका में एक पारसी कवि की कविता को दुहराते हुए कहा है कि "यह विश्व उस प्राचीन हस्तलिखित पुस्तक के समान है, जिसके प्रथम और अन्तिम दो पन्ने खो गये हैं। दर्शन उन्हीं दो खो गये पन्नों की खोज में आगे बढ़ता है। खासकर भारत में दर्शन कसरत नहीं बल्कि आध्यात्मिक मुक्ति दिलाने वाला शास्त्र है। एच.एम. भट्टाचार्य ने ठीक ही लिखा है कि "So Indian mind has viewed philosophy not as mere intellectual gymnastics but rather as a means to spiritual salvation." दर्शन मनुष्य का एक निष्पक्ष बौद्धिक प्रयत्न है, जिसके द्वारा वह विश्व को उसकी सम्पूर्णता में समझने की चेष्टा करता है। (Philosophy is an impartial persuit of human beings by which they try to understand the universe in its wholeness)" जबकि हरेक विज्ञान विश्व के किसी खास विभाग तक ही अपने को सीमित रखता है। उदाहरण के लिए भौतिक विज्ञान भौतिक जगत् तक ही अपने को सीमित रखता है। यह रसायनशास्त्र, जीव विज्ञान, मनोविज्ञान इत्यादि के क्षेत्रों में दखल नहीं देता है। इस तरह अध्ययन के क्रम में हम पाते हैं कि विज्ञान का क्षेत्र संकुचित है; किन्तु दर्शन का क्षेत्र व्यापक है।
कुछ विचारकों का यह मत है कि दर्शन केवल सभी विज्ञानों का योगफल है। परन्तु वास्तविकता यह है कि यह विज्ञान के द्वारा प्रस्तुत विचारों एवं तथ्यों की समीक्षात्मक दृष्टि से
मूल्यांकन करता है। 2. विज्ञान का दृष्टिकोण विश्लेषणात्मक है जबकि दर्शन का दृष्टिकोण
संश्लेषणात्मक है। 3. वैज्ञानिक व्याख्या कैसे का उत्तर देती है, क्यों का नहीं, किन्तु
दर्शन क्यों का उत्तर देने की कोशिश करता है।
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