Book Title: Dravyanuyoga Part 2 Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others Publisher: Agam Anuyog Prakashan View full book textPage 8
________________ गुरुदेव के जीवन की महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ - जन्म : जन्मस्थल : पिता : के लेख से प्रेरणा प्राप्त कर आगमों का अधुनातन दृष्टि से अनुसंधान। फिर अनुयोग शैली से वर्गीकरण का भीष्म संकल्प | ३० वर्ष की अवस्था से अनुयोग वर्गीकरण कार्य प्रारम्भ। पं. प्रवर श्री दलसुख भाई मालवणिया, पं. अमृतलाल भाई भोजक, महासती डॉ. मुक्तिप्रभा जी, महासती डॉ. दिव्यप्रभा जी, सर्वात्मना समर्पित श्रुतसेवी विनय मुनि जी 'वागीश', श्रीचन्दजी सुराना, डॉ. धर्मचन्द जी जैन, त्यागी विद्वत् पुरुष श्री जौहरीमल जी पारख, पं. देवकुमार जी जैन आदि का समय-समय पर मार्गदर्शन, सहयोग और सहकार प्राप्त होता रहा। बीज रूप में प्रारम्भ किया हुआ अनुयोग कार्य आज अनुयोग के ८ विशाल भागों के लगभग ६ हजार पृष्ठ की मुद्रित सामग्री के रुप में विशाल वट वृक्ष की भाँति श्रुत-सेवा के कार्य में अद्वितीय कीर्तिमान बन गया है। माता दीक्षा तिथि दीक्षा स्थल A दीक्षा दाता : उपाध्यायपद || अर्हम् || ज्ञानयोगी उपाध्याय प्रवर अनुयोग प्रवर्तक गुरुदेव मुनिश्री कन्हैयालाल जी म. 'कमल' C : ज्ञान की उत्कट अगाध पिपासा लिये अहर्निश ज्ञानाराधना में तत्पर, जागरूक प्रज्ञा, सूक्ष्म ग्राहिणी मेधा, शब्द और अर्थ की तलछट गहराई तक पहुँच कर नये-नये अर्थ का अनुसंधान व विश्लेषण करने की क्षमता यही परिचय है उपाध्याय मुनि श्री कन्हैयालाल जी म. कमल का । ७ वर्ष की लघु वय में वैराग्य जागृति होने पर गुरुदेव पूज्य श्री फतेहचन्द जी महाराज तथा प्रतापचन्द जी म. के सान्निध्य में १८ वर्ष की आयु में दीक्षा ग्रहण । आगम, व्याकरण, कोश, न्याय तथा साहित्य के विविध अंगों का गंभीर अध्ययन व अनुशीलन । आगमों की टीकाएँ व चूर्णि, भाष्य साहित्य का विशेष अनुशीलन । ज्ञानार्जन / विद्यार्जन की दृष्टि से उपाध्याय श्री अमर मुनिजी पं. बेचरदास जी दोशी, पं. दलसुख भाई मालवणिया तथा पं. शोभाचन्द जी भारिल्ल का विशेष सान्निध्य प्राप्त कर ज्ञान चेतना की परितृप्ति की । उनके प्रति विद्यागुरु का सम्मान आज भी मन में विद्यमान है । २८ वर्ष की अवस्था में किसी जर्मन विद्वान् वि. सं. १९७० (रामनवमी) चैत्र सुदी ९ केकीन्द (जसनगर) राजस्थान श्री गोविंदसिंह जी राजपुरोहित श्री यमुनादेवी वि. सं. १९८८ वैसाख सुदी ६ धर्म वीरों, दानवीरों की नगरी सांडेराव ( राजस्थान) गुरुदेव जी फतेहचन्द म एवं श्री प्रतापचन्द जी म. श्रमण संघ के वरिष्ठ उपाध्यायPage Navigation
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