Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 235
________________ FPOWERupanemamPERSawanpapeperpenawanSIS परमात्माछत्तीसी. Boutetereta abar Gorahus/apranawRatnapano . राग द्वेपकी प्रीति तुम, भूलि करो जिन रंच ॥ परमातम पद ढांकके, तुमहिं किये तिरजंच ॥२१॥ जप तप संयम सब भलो, राग द्वेप.जो नाहि ॥ . राग द्वेपके जागते, ये सव सोये जाहिं ॥ २२ ॥ राग द्वेपके नाशते, परमातम परकाश ॥ राग द्वेपके भासते,. परमातम पद नाश ॥ २३ ॥ जो परमातम पद चहै, तो तू राग निवार । देख सयोगी' स्वामिको, अपने हिये विचार ॥ २४ ॥ : लाख वातकी. वात यह, तोकों दई वताय ।। .. जो परमातम पद चहै, . राग द्वेपतज भाय ॥ २५ ॥ राग द्वेपके त्याग विन, परमातम पद नाहिं ।। कोटिकोटि जपतप करो,सहि अकारथ जाहिं ॥ २६ ॥ दोप. आतमाको यहै, राग द्वेपके संग ॥ जैसे पास मजीठके, · वस्त्र और ही. रंग ॥ २७ ॥ तैसें आतम द्रव्यको,. राग-द्वेपके पास ॥ कर्म रंग लागत रहै, कैसें लहै प्रकाश ॥२८॥ इन कर्मनको जीतिबो, कठिन वात है मीत ॥ जड़ खोद विन नहिं मिटै, दुष्टजाति विपरीत.॥ २९ ॥ लल्लोपत्तोके किये, ये मिटवेके नाहि ॥ • ध्यान अग्नि परकाशके, होम देहु तिहि माहि ॥ ३०॥ ज्यों दारूके गंजको, नर नहिं सकै उठाय॥ . तनक आग संयोगते, छिन इको उडि जाय ॥ ३१॥ देह सहित परमातमा, यह अचरजकी वात ॥ (9) टालटल. (२) ढेरको. , ..... ... . MonsonanwwwwwwEANPOWERRORawas raNP/sanaprasapacDonarna r eresterende stora artesanato da se za

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