Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 311
________________ cesa RAM ANGSTASIE EIN PROPERMANGAARRORSCORRUPERORPORDER ग्रन्थकर्ता परिचय. ३०५४ अथग्रन्थकर्ता परिचय. चौपाई । जंबूद्वीप सु भारत वर्ष । तामें आर्य क्षेत्र उत्कर्ष ॥ ३ तहाँ उग्रसेन पुर थान । नगर आगरा नाम प्रधान ॥१॥ तहाँ वसहिं जिनधर्मी लोक । पुण्यवन्त वहु गुणके थोक ॥ में वुद्धिवन्त शुभ चर्चा करें। अखय भंडार धर्मको भरें।।२।। नृपति तहाँ राजै औरंग । जाकी आज्ञा वहै अभंग ॥ ईति भीति व्यापै नहिं कोय । यह उपकार नृपतिको होय॥३॥ तहाँ जाति उत्तम बहु वसै । तामें ओसवाल पुनि लसै ॥ तिनके गोत बहुत विस्तार । नाम कहत नहिं आवैपारा॥४॥ सवते छोटो गोत प्रसिद्ध । नाम कटारिया रिद्धि समृद्ध ॥ ह दशरथसाहु पुण्यके धनी । तिनके रिद्ध वृद्धि अति घनी ५॥ तिनके पुत्र लालजी भये । धर्मवंत गुणगण निर्मये ॥ तिनके पुत्र भगवतीदास । जिन यह कीन्हों'ब्रह्मविलास'६॥ जाम निज आतमकी कथा । ब्रह्मविलास नाम है यथा ॥ बुद्धिवंत हँसियो मत कोय । अल्पमती भापा कवि होय ॥७॥ में भूल चूक निज नयन निहार । शुद्ध कीजियो अर्थ विचार ।। संवत सत्रह पंचपचास । ऋतुवसंत वैशाख सुमास ॥८॥ २ शुक्लपक्ष तृतिया रविवार । संघ चतुर्विधको जयकार ॥ पढत सुनत सबको कल्यान । प्रगट होय निजआतम ज्ञान९॥ तिहूं कालके जिन भगवान । वंदन करों जोर जुग पान १ भैया नाम भगवतीदास । प्रगट होहुतसुब्रह्मविलास॥१०॥ है वहुत वात कहिये कहा धनी । जीव यहै त्रिभुवनको धनी ॥६. प्रगट होय जब केवल ज्ञान । शुद्ध स्वरूप यही भगवान ॥१॥ में इति श्रीआगरानिवासी भैया भगवतीदासनीकृत ब्रह्मविलास सम्पूर्ण. JanuarantarwaRDARoanupamarpaROORPORPORAN angaande NSSINGATA berperaturer weergeve ndende trentenantang N anderen

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