Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 312
________________ PRODEDIODDOOOOOOOOODOGGARWAGRAR विना टका पैसा खर्च किये ही सैंकड़ों शास्त्रोंका दान. a alGadbcamsootodocods0OGGEverGOOGawal जो कोई महाशय अपने यशके इच्छक हो तथा जिनवाणीका प्रचार करके जैनसमाजका हितसाधन करना चाहे अथवा शास्त्रदानके द्वारा असमर्थ विद्यार्थियों वा जैनी भाइयोंको सैंकड़ों ग्रंथोंकी स्वाध्याय करानेका पुण्य लेना चाहें तो वे महाशय हमसे पत्रव्यवहार करें. हमने अपने शारीरिक वा मानसिक परिश्रमसे ऐसा ही एक उपाय निकाला है कि, उसकेद्वारा सैकड़ों ग्रंथ विना पैसा खर्च किये ही दान कर सक्ते EGGSDATABANINTSITSARTAtaschen Snaressanteria uos PARGANGawdesevdoced यदि .. इच्छा हो तो नीचे लिखे पतेसे हमारे साथ पत्रव्यवहार करें. आपका . दासपन्नालाल जैन मैनेजर- . जैनग्रन्थरनाकरकार्यालय. पो० गिरगांव, वम्बई. ... POORWAROPISOPARGAMARPARREARANPORE M

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