Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 298
________________ Roode de 5503 २९२ आ र्म चा रा सा व Goda 30 ब्रह्मविलास में अथ चित्रकविता. ध से अनुष्टुपछन्द, आपा थान न था पाआ । चार भार रमा रचा ॥ राधा सील लसी धारा । साद साम मसा दसा ॥ १ ॥ पादानुपादगतागत चित्रम्, व पा र धा र व द प से प से त नि उ से था ज मा सी दोहा. पर्म सेव पर सेव तज, निज उधरन मनधारि ॥ धर्म सेव वर सेव सज, निज सुधरन धनधारि ॥ २ ॥ त्रिपदीबद्ध चित्रम्, ज सा ध र to fr स नि सुर न र ल म क 5 न रि ध 打 Budd up eats de dosed

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