Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 299
________________ Earrane CERIAnnapMRownOS0OORPROOPORO/AROO चित्रवद्ध कविता. २९३४ । त्रिपदीपंचकोष्टक.. M NPM0. | पर्म - पर . तज । उध । सेव ' निज - - - सेव । धारि धर्म । वर सज सुध धन • अन्य सप्तकोष्टकंत्रिपदी. वप सेव । जनि | उध त maprapapadpapabardapadmavasapanaapappa - - धर्म | वर सेव जिन धनधा | दोहा. atacanangan wanapatutan tetraparent जैन धर्म में जीव की, कही जात तहकीक । जैन धर्म में जीत की, लही बात यह ठीक ॥३॥ एकाक्षर त्रिपदीबद्ध चक्रम्, जैध | में व क. जा त की। जी की ही | ध में | त ल बा । य KanwwwwwwwwwpRDPREPAROOMGpana

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