Book Title: Bramhavilas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 261
________________ More.. PREDIENDRAWANINMAYAPOORDWPORORA ईश्वरनिर्णयपचीसी. .... २५५६ ॐ देख गति कालकी न ताह कौन हालकी न, चाविचूव गालकी न । हैवीन लीजियतु है ॥ ११ ॥ से कौउ स्वान परयो काचके महलबीच, ठौर और स्वान , * देख भूस घूस मरयो है । वानर ज्यों मूठी वांध परयो है पराये वश, कूर्यमें निहार सिंह आप कूद परयो है । फटिककी शिलामें. विलोक गज जाय अरयो, नलिनीके सुवटाको कौनधों पकरयो ह है । तैसे ही अनादिको अज्ञानभाव मान हंस, आपनो स्वभाव भूलि जगतम फिरयो है ॥ १२ ॥ दोहा. ईश्वरके तो देह नहि, अविनाशी अविकार ।। ताहि कह शठ देह धर, लीन्हों जग अवतार ॥ १३ ॥ जो ईश्वर अवतार ले, मरै बहुर पुन सोय ॥ जन्म मरन जो धरतु है, सो ईश्वर किम होय ॥ १४ ॥ एकनकी घां होय के, मरै एकही आन ॥ ताको जे ईश्वर कहें, ते मूरख पहचान ॥ १५ ॥ ईश्वरके सव एकसे, जगतमाहि जे जीव ।। काहप नहिं द्वेप है, सवर्षे शांति सदीव ॥ १६ ॥ ईश्वरसों ईश्वर लरे, ईश्वर एक कि दोय ॥ परशुराम अरु रामको, देखहु किन जगलोय ॥ १७ ॥ रौद्र.ध्यान व जहां, तहां धर्म किम होय ।। ___ परम बंध निर्दय दशा, ईश्वर कहियेसोय ॥ १८ ॥ ब्रह्माके खरशीस हो, ता छेदन कियो ईस ॥ ताहि सृष्टिको कहै, रख्यो न अपनो सीस ॥१९॥ ManawwwrencpmrawranepaormORORSCOPPERIODE BGDammamtvRARDaavaSAMAGROSAMRATABAITRANGA Preprepareoco-sornapoooooooooooocomoanasamac00000000003

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