Book Title: Bolte Chitra Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 29
________________ बोलते चित्र ___वृद्धा माँ ने कहा-पुत्र ! तू इसी समय सेनापति के पास जा । उससे कहना कि मेरी माता मुझे सहर्ष अनुमति दे रही है अतः आप मुझे सेना में भर्ती करें। यदि सेनापति चाहेगा तो मैं लिखित रूप में और यदि चाहेगा तो प्रत्यक्ष में आकर सम्मति दे दूंगी। माता के आग्रह से पुत्र सेनापति के पास गया । उसने अपनी और माता की इच्छा सेनापति के सामने रखी। सेनापति ने इन्कार करते हुए कहा-तू अपनी माँ का इकलौता पुत्र है। उसका आधार स्तंभ है। भले ही उसकी इच्छा हो, किन्तु कानून के अनुसार हम सेना में प्रवेश नहीं दे सकते तुम्हारी माता का देशप्रेम अभिनन्दनीय है। पुत्र ने लौटकर सारी स्थिति माता से निवेदन की। जब यह बात वृद्ध माता ने सुनी तो उसे अपार दुःख हुआ । सोचा मेरे कारण मेरे पुत्र को देश सेवा का अवसर नहीं मिल रहा है। वृद्धा माता ने कुछ क्षणों तक सोच कर कहापुत्र ! अब मेरा शरीर कुछ क्षणों का ही मेहमान है । मेरी अन्तिम इच्छा यही है कि तू जी-जान से देश की सेवा करना । सेनापति से कहना कि अब मेरी माँ इस संसार में नहीं है, इसलिए नियमानुसार सेना में भर्ती हो सकता हूं। वृद्धा के शब्द पूर्ण नहीं हुए थे, कि उसने अपने हाथ से पेट में छुरा भोंक लिया। सदा के लिए आँखें मुंद गई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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