Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 116
________________ ६७ वारणी की महत्ता सन्नाटा छा गया। राजा का मुख म्लान हो गया। दूसरे स्वप्न विशेषज्ञ की ओर राजा ने देखा। उसने कहा-राजन् ! मैं इस स्वप्न के सम्बन्ध में गहराई से चिन्तन करूंगा और इसका फलादेश कल बताऊँगा। दूसरे दिन ठीक समय पर वह राजसभा में उपस्थित हुआ। उसने मधुर वाणी से राजा को सम्बोधित कर कहा-राजन् ! इस स्वप्न के सम्बन्ध में आपके मन में जो गलत धारणा हो गई है वह मन से निकाल दीजिए। यह स्वप्न आपके दीर्घ आयुष्य का प्रतीक है। आप लम्बे समय तक शासन करेंगे । आपके परिवार का कोई भी सदस्य आपको अपने सामने मरते हुए नहीं देखेगा। आपकी उम्र खूब लम्बी है। दीर्घायुष्य ही स्वप्न का फलादेश है। फलादेश को सुनकर राजा प्रसन्न हुआ। राजा ने प्रसन्नता से उसे पुरस्कार दिया । विद्वान वाणी की महत्ता के सम्बन्ध में सोच रहे थे। फलादेश एक ही होने पर भी वाणी के विवेक से एक को पुरस्कार मिला और दूसरे को तिरस्कार मिला। ____ मानव की वाणी में एक अनोखा जादू है । वह अमृत को जहर बना देता है और जहर को अमृत । जो मानव वाणी की महत्ता को समझ लेता है वह नरक सदृश संसार को भी स्वर्ग बना लेता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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