Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

Previous | Next

Page 124
________________ प्राणोत्सर्ग १०५ बहुत ही सुन्दर करते हैं। आप इस तालाब में जब तक डुबकी लगाकर पानी के अन्दर रहेंगे तब तक कोई भी सैनिक लूट-पाट व हत्या नहीं करेगा। जो नगर को छोड़कर भागना चाहेगा उसे सहर्ष भागने दिया जायेगा। कहिए आपको यह स्वीकार है ? महानाम-हाँ, मुझे स्वीकार हैं। जितना रक्तपात कम हो, उतना ही अच्छा । उसे स्मरण आया-एक दिन महापुरुष ने कहा था-पानी दूसरों की प्यास बुझाता है, फल दूसरों की भूख मिटाते हैं, वृक्ष दूसरों को छाया देते हैं, चन्दन घिसा जाकर भी दूसरों को शीतलता देता है । गन्ना पीला जाकर भी रस देता है, पर मानव क्या देता है ? आज कपिलवस्तु के नागरिकों के लिए मुझे भी जीवनदान देना है। राजा विड्डम ने सोचा-यह वृद्ध आठ दस क्षण श्वासोच्छ वास को रोक सकेगा। तब तक नागरिक कहाँ तक भाग सकते हैं । गुरुदेव के वचन का भी पालन होगा और मेरी वैर-अग्नि भी शान्त हो जायेगी और राजा ने घोषणा की कि जहाँ तक महानाम जल में डुबकी लगा कर रहेंगे वहाँ तक सभी को अभयदान दिया जाता है। ___सैकड़ों पौरजन महानाम के पास आकर खड़े हो गये । महानाम ने पानी में प्रवेश किया। सभी लोग टकटकी लगाकर देख रहे थे कि महानाम अभी बाहर निकलें, अभी बाहर निकलें। पर घण्टे के घण्टे व्यतीत हो गए, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148