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बुद्धि का चमत्कार सिद्धराज जयसिंह के बाल्यकाल की एक प्रेरक घटना है।
सिद्धराज के पिता कर्णदेव, जब सिद्धराज तीन वर्ष के थे, तभी परलोक वासी हो चुके थे । माता मीनल देवी राज्य का सम्पूर्ण कार्य चलाती थी। सिद्धराज यद्यपि बालक था तथापि उसकी प्रतिभा की तेजस्विता से सभी परिचित थे । दिल्ली के बादशाह ने सुना । उन्होंने मीनल देवी को सूचना दी कि आपका पुत्र अब बड़ा हो चुका है, देखना चाहते हैं । आप उसे दरबार में भेजिये । मीनलदेवी को चिन्ता हुई-सिद्धराज अभी बालक है। न जाने बादशाह क्या पूछे ! यह उन का उतर किस प्रकार दे सकेगा।
मीनलदेवी ने उसे अपने पास बिठाकर अनेक प्रकार की शिक्षाएं दी और कहा यह प्रश्न आए तो इस प्रकार उत्तर देना। यदि ऐसा प्रश्न आये तो इस प्रकार का
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