Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 132
________________ बुद्धि का चमत्कार जबाब देना । बहुत देर तक सिद्धराज सारी बातें सुनता रहा। अन्त में उसने अत्यन्त नम्रता के साथ कहा-माताजी यदि इन प्रश्नों के अतिरिक्त दूसरे प्रश्न मेरे सामने आये तो उनका उत्तर किस प्रकार देना ? ___माता ने कहा-पुत्र, उस समय अपनी बुद्धि से विचार कर उत्तर देना। सिद्धराज-फिर माताजी, आप इतनी चिन्ता न करें। जब मुझे अपनी बुद्धि से ही समयोचित उत्तर देना है तो आप चिन्ता न करें। सिद्धराज अपने सामन्तों के साथ दिल्ली के दरबार में पहुंचा। उसके दिव्य और भव्य रूप को देखकर सभी चकित हो गए। सिद्धराज बादशाह के पास जाकर ज्यों ही प्रणाम करने लगा त्यों ही बादशाह ने उस के दोनों हाथ अपने हाथ में पकड़ लिये । कहा-मैंने तुझे पकड़ लिया है, अब बता तू क्या कर सकता है ? सिद्धराज ने चट से उत्तर दिया-सम्राट् प्रवर ! अब मैं सब कुछ कर सकता हूँ, क्योंकि हमारे देश में वर कन्या का एक हाथ पकड़ता है तो उसे जीवन भर निभाता है। उसे किसी भी प्रकार का कष्ट न हो, इसका ध्यान रखता है । वह उसके घर की मालकिन होती है। उसकी सम्पूर्ण जबावदारी उस पर होती है। जब एक हाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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