Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 138
________________ ३ जीवन समर्पण भारतीय संस्कृति में अतिथि को देव माना है'अतिथि देवो भव' के रूप में उसकी उपासना की है। नालंदा विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थी अपने प्यारे अतिथि ा . ऐन. संग को विदाई देने के लिये साथ जा रहे थे । सभी नौका में बैठे हुए थे । नौका सिन्धु नदी को पार कर रही थी। सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, दार्शनिक चर्चाएँ चल रही थीं। उसी समय एक भयंकर तूफान आया। नौका डगमगाने लगी। कुशल नाविक ने अनेक प्रयत्न किये पर कोई भी प्रयत्न सफल न हो सका। ___ अन्त में नाविक ने कहा-नौका में वजन अधिक है। वजन की अधिकता से अब यह नदी में डूब जायेगी। चीनी यात्री ह्य. एन. संग ने भारत के विविध अंचलों में से अप्राप्य छह सौ सत्तावन पुस्तकें और तथागत बुद्ध की ढाई सौ चन्दन, सुवर्ण, चांदी, कांस्य व संगमर्मर की कलात्मक प्रतिमाएँ एकत्र की थी जिससे ११६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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