Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 129
________________ ११० बोलते चित्र को पहन कर प्रियदर्शी अशोक भी राज-सिंहासन पर आसीन हुए। ___ सम्राट के सामने सभी शासकों ने क्रमशः अपने कार्य का विवरण सुनाना प्रारम्भ किया। उत्तर प्रान्त के शासक ने बताया-मैंने टैक्स लगाकर आयात-निर्यात प्रभृति साधन-स्रोतों के द्वारा राज्य की आमदनी तीन गुनी बढ़ायी है और आय के ऐसे स्रोत भी अन्वेषरण किए हैं, जिससे प्रतिवर्ष उसमें अभिवृद्धि होती रहेगी। दक्षिण के शासक ने निवेदन किया--स्वर्ण की खदानों में नौकरों से अधिक कार्य लिया गया है, जिससे गत वर्ष की अपेक्षा दूना सोना एकत्रित हुआ है। टैक्स भी लगाए हैं ! इससे भी आमदनी में अभिवृद्धि हुई है। पूर्व-प्रान्तीय अधिकारी ने कहा-जो शत्रु हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करते थे। उन्हें हमने अपनी शक्ति से इस प्रकार परास्त कर दिया है कि वे वर्षों तक सामने खड़े नहीं हो सकते।। पश्चिमी सीमान्त प्रदेश के शासक ने कहा-हमने इस वर्ष टैक्स ही नहीं बढ़ाए, अपितु अधिकारी और राजकर्मचारियों का वेतन भी कम कर दिया जिससे अन्य प्रान्तों की अपेक्षा हमारे शासन को अधिक अर्थलाभ हुआ है। अन्त में मगध के शासक खड़े हुए। उन्होंने कहा-इस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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