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सर्वश्रेष्ठ शास्ता
पाटलीपुत्र के नागरिक आनन्द से झूम रहे थे क्योंकि आज सम्राट् अशोक का जन्म दिन था । नगर की सड़कें ही नहीं, गलियाँ भी साफ की गई थीं । मकान सजाए गए थे । स्थान-स्थान पर मालाएँ लगाई गई थीं, द्वार बनाए गए थे, नगर में सर्वत्र चहल-पहल थी । सभी लोग महाराजा का अभिनन्दन करने के लिए राजप्रासाद की ओर बढ़े जा रहे थे ।
महाराजा प्रियदर्शी अशोक ने उद्घोषणा कीप्रान्तीय शासक अपना-अपना कौशल प्रस्तुत करेंगे और जो सर्वश्रेष्ठ प्रतीत होगा उसे 'सर्वश्रेष्ठ शास्ता' उपाधि से विभूषित किया जायेगा ।
सभागृह दर्शकों से खचाखच भर गया । सभी देखना चाहते थे कि कौन सर्वश्र ेष्ठ शास्ता है । भारत के विविध अंचलों से शासक आये और अपने-अपने स्थान पर आसीन हो गए । राजसी वेशभूषा धारण कर, राज- मुकुट
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