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धन का उपयोग
मध्याह्न का समय था । चिलचिलाती धूप गिर रहीं थी। आवश्यक सामान लेकर महा कवि कालिदास बाजार से लौट रहे थे । उन्होंने देखा-सामने से एक गरीब व्यक्ति आ रहा है । उसके पैरों में जूते नहीं हैं । तप्त तवे सी भूमि पर वह कभी दौड़ रहा है, कभी छाया में रुक रहा है, कभी लड़खड़ाते कदमों में चल रहा है। उस दीन की दयनीय अवस्था देखकर कवि का कोमल मानस करुणा से आप्लावित हो गया। उन्होंने उसी समय अपने पैर के जूते खोले और उस गरीब को दे दिये। ___ गरीब व्यक्ति ने बड़ी विनम्रता के साथ कहा-मैं इस समय आप के जूते नहीं ले सकता क्योंकि आपको भी इस कड़ी धूप में बिना जूते चलने से कष्ट होगा। ___ कवि-आप मेरी विन्ता न करें, मेरा घर बहुत ही नजदीक है । आप जूते ले लीजिए। आप न लेंगे तो भी अब मैं इन्हें नहीं पहनूंगा । नंगे पैर चलकर देखूगा कि उज्जयिनी
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